Book Title: Uktiratnakara
Author(s): Jinvijay
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir
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. उक्तिरत्नाकर
बाउची बाकुची । घर गृहं घरो वा। ओवउ अपवर कः। अंतेउरी अन्तःपुरिका । पातली लोवडी प्रतला लोमपटी। ऊतारणउ अवतारणकम् । तंबोली ताम्बूलिकः । गांधी गान्धिकः । तेली तैलिकः । हेवउ हेवाकः । मिठाई मृष्टादिका। सुंखडी सुखादिका। ऊभउ ऊर्द्धः। बइठउ उपविष्टः । तंबोल बीडउ ताम्बूलबीटकम् । आलजाल बोलइ आलजालं ब्रवीति । सीकारा मूकइ सीत्कारान् मुञ्चति । पोईस पूतिकेशः । छानउ छन्नः। परताति परतप्तिः । राइणि राजादनी। कुंअरि कुमारी। गिलो गडूची।
आंबारी कातली आम्रकर्त्तलिका ।। पुहुंक पृथुकम् । पहुआ पृथुकाः। टांक टङ्कः । मासउ माषकः। आक अर्कः । नींबू निम्बुकः । सिरघू शिग्गुः । छीकउ शिक्यम् । थूणी स्थूणी।
थांभउ स्तम्भः । सीविवउ सीवनम् । सांडसउ संदंशः । मणिआर मणिकारः । आंबिली आम्लिकी। गाडी गन्त्री। डांस दंशः। मसउ मशकः । अरडसर अटरूषः । मोरसिखा मयूरशिखा। महुलेठी मधुयष्टिः । अरीठउ अरिष्टः । ल्हसण लशुनः। गाजर गृञ्जनम् । किरातउ किरातः । जीवापोता पुत्रजीवकः । थूथउ तुच्छम् । दीवडी दृतिः । भांगरउ भृङ्गराजः। अतिविस अतिविषा। धाणी धानाः । सातू सक्तवः । धररी जाली गृहस्य जालिका । गउख गवाक्षः । बाण संधियउ बाणः सन्धितः । ऊंचउ ऊछालियउ उच्चमुच्छालितः । फलहउ फलिहकः । झाड झाटः। सूआर सूपकारः । रसोई रसवती। सोनाररी मूस सुवर्णकारस्य मूषा।। कुंभार हांडी घडइ कुम्भकारो हण्डिका
घटयति ।
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