Book Title: Uktiratnakara
Author(s): Jinvijay
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir

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Page 118
________________ शब्दानुक्रम १०१ नहीं तु ६२, २ निमित्ती ३४, २ न १८, १.७२, १. ७८, २ नहुतरिउ ५२, १ नियोजिवू ५३, २ नई ७३, १ नाक ८, १ निरखइ ४१, २ नइमाहि माछा हीडई ७५, २ नागरवेलि १२, २ निरभरछइ ३९,२ नउद ९, १ नाचइ ३८, १.४८, १.८०, १ निराकरइ ४४, २ नउल १४,१ नाचिउ ५१,१ निरोध १८,१ नखारउ १८, १ नाचिर्बु ५३, २ निर्धाटइ ४१, १ नगरनइं उत्तर गमई ७४, १ नाठउ ५०, १ निर्मलबुद्धि ७४, २ इकडउ पर्वतु । नाणउ २३, २ निर्मलां ७४, २ नगरु ७३, २ नाणिद्रउ ६७, २ निर्वाप ७५, २ नचावइ ४८,१ नातणउ ९, निलखणउ २६, २ नणदोई ६७,२ नात्रा १८,१ निलाड ८,१.६७, २ नणंद ८, १.६७, २ नाथइ ४४, १ निवडियउ २१,५ नदि ७४, २ नाथियउ १६, २ निवायड २४, १ नदी २५, २. ७४, १ नान्हउ ६५, २ निवारइ ४३, २. ४६, २ नदीनां जलु ७४, १ नामइ ८०,२ निवारिउ ४९, २ नमइ ३९, १.८०,२ नामु ७४, १ निवी ३१, १ नमस्करइ ४१, २. ४६, २ नारिंग रूंख २२, . [निवेदिQ] ५३, २ नमस्करिव्यु ५३, १ नालेर १२, २ निषेधइ ४६, २ नमिवा वांछइ ८१, २ नाच १०,१ निष्ठा २४,१ नमो १५, १ नावी १०,२ निसरावउ १७, १ नयडउ १४,२ नासइ ३९, २.४८,२ निसूग २०, २ नरनरइ ४२, १ नासिवा २६, १ निसेजा २१, १ नव २८, १.५७,२ नासिवू ५४, २ निसोत २१, १ नवकारवाली २१, १ नास्तिक टाली। निस्तयउ ४९,२ नवकारसही ३३, २ कुण पापीउ निदइ ३८, १.४६, १ नवमउ ३८, २. ५७, १ नाहर १७, १ नीक २३, १.६६, ३ नवमि ३१, २ नाहिवा वांछइ ८१, १ नीकउ २६, २ नवलउ १५, २ नाहिq ५४, १ नीकलइ ४६,२ नवाणू ३०, नांखइ ४२, नीकल्यउ ४९, २ . नवारसउ १७,२ नांगर २५, १ नीकोलइ ४६, २ नव्यासी २९, २ नांष (ख) इ ४७,२ नीखणियामउ २६, १ नस ९, १ नांषि (खि) उ ५२, १ नीचङ ५६, ३ नसावइ ४०, १ निउंजइ ४२, २ नीठ २४, १ नहरणी १८, १ निऊ २९, २ नीठइ ४३, १.७०, १ नहि तु (प्र०) ६२, ३ निकरउ २५, २ नीठि २३, १ नही ३३, २ निकोलिवा वांछइ ८१, २ । नीठियउ २५, २ नही करइ ३६ निजंत्रइ ३९, १ नीठुर १४,२ नही दियइ ३६ निद्वंधस २०,२ नीद्रालूखउ ६९, २ नही लियइ ३६ निद्रालखउ ३२, २ नीपजइ ३८, २ नहींत ५६,२ निबीजइ ७०, २ नीपजई ७५, २ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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