Book Title: Uktiratnakara
Author(s): Jinvijay
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir

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Page 127
________________ ये ये वडा ते ते । ७५, १ । उक्तिरत्नाकरादि अन्तर्गत ये ये लहुडा ते ते ...राइणि १९, १ यमिवा बससई । राइतउ ३१, १ राई ७, १. २४, मान लहई । राड ७२, २ यो ५५, २ राउत ६८,१ योग्य ७७, १. ७७, २ राउताई ६८,१ योग्यु ७७,२ राउ बांभणना। _क्यरि मार रखवालउ २०, २ राउलड २३, २ रचइ ३७, १ राउ लोकापाहिं । । रतांजणी १७, २ करसणु करावा रती १७, १ राक्षसु ७८, १ रत्न ७५, २ राख १०, १ रथु ७८,१ राख ३९, २ रमइ ३९, १. ४६, २. ८०, २ राखडी १८,२ रमिउ ४९, २ राचइ ४४, २ रमिवा वांछइ ८१,१ राजगुल ६७, २ रमियूँ ५४, २ राजपुत्र ७५, २ रयताणउ ३४,३ राजभुवनि ७४, २ रलियाम[ ५७, १ राजवी २१, १ रलीयामणउ ३२, १ राजा गामु बांभ-1 । ७७, २ रवऊ २६,१ __णायतुं करइ । रसोई १९, २ राजान २२, १ रसोयि ६८, २ राजानी परि ७७, २ रहइ ४४, २.८०,१ राजा पाछलि सेना ७५, १ रहतउ ६०,२ राजारउ २३,. रहाविउ ४९, २ राठऊड २१,१ रहिउ ४९,२ राडि ९,२ रहि ५२, २. ६०, १ रातउ २४, २. ७६, १ रहित ६०, २ राति २०, २ रहितु (प्र०) ६०,३ राति ७३, १ रहिव ६२, १. ७२, १ राती ७६, १ रहिवा थाकिवा, रान ३३, १ थाइवा[वांछ राब १६, १ रहिवू (प्र०) ६२, १ रायतणउ समूहु ७६, १ रही ६१,१ रावटउ ११, २ रहीइ ७१,१ राष (ख) इ ४८, २ रहीतूं (प्र०) ६०, ४ राषि (खि) उ ५०,२ रहीवा ६१,२ राषि (खि) ५४, १ रंग्यउ ५०,२ राह ५, २ रंजइ ४३, २ रांक २४, १ गंधइ ३८, २ रांधउ २४, २ रांधणउ २०, २ रांधिवउँ ५२, २ रांध्यउ ७, १ रांपी २२, २ रिजइ ४०,२ रिणउ १५,१ रीछ १३, २ रीसालू ७, १ रुचद ४९, १ रुलियउ २५, २ रुलीयामण ६८, १ सलीयायित कीधा । जीणं बांभण । रुधिर ५१,२ रूखउ २५, १ रूठउ १८,२ रूतउ २१,२ रूपउ ११,२ रूपानां पात्र ७७, १ रूपु ७८, ५ रूसइ ३९,२ रूं ३२,२ रूंख २१, २ रुंधइ ३८, २. ४९, १ रोइ ४९, १ रोइउ ५१,१ रोझ १७, १ रोयइ ३८,२ रोयिवा वांछइ ८२, १ रोहीडउ २२, रोहीस १३, १ लउडउ २२, लउंकडी १३, २ लउंग ९, १ लखइ ३९,२ लखमी ६, २ लगइ ५६, १.६२, २ लगाडइ ७८,१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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