Book Title: Uktiratnakara
Author(s): Jinvijay
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir

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Page 109
________________ उक्तिरत्नाकरादि अन्तर्गत ग गाइवु ५३, २ गिरइ ३७, १ गइंडउ १३, २ गाईमाहि ७२, २ गिरठि २३, २ गउख १९, २ गाउ १०, १ गिलइ ३९, १ गउखु ६९, २ गागरी ११,२ गिलगिली १८१ गउर १५, १ गाजइ ३७,२ गिलो १९, १ गउंछणउं ६९, २ गाजर १९,२ गिलोई २०, २ गजथर २२, १ गाडरि ३३, २ गीत १५, २. ७५, १ गड ७,२ गाडा योग्यु हितूंउ ७७, २ गुड ७४, २ गदु ६९, २ गाडी १९,२ गुडिउ ६८,२ गणिकानु समूहु ७६, २ गाडु ७८, १ गुढउं ६६, १ गाढउ ७९, १.८०,१ गणिवू ५३, गुणइ ३७, १.४८, १ गणीस ३४, ५ गाती ७५, १ गुणणी २५, २ गात्री २२,२ गदगद वचन २२, १ गुणनु समूहु ७६, २ गदहिला १७, १ गात्रु ८०,२ गुणिउ ५१, १ गादी १८,१ गद्दहउ १३, २ [गुणिवू ] ५३, १ गाबडि ८, २ गमइ ७३, २ गुरु साम्हु ७३, २ गाभरू २४, २ गमई ७४, १ गुल १८,२ गामढिउ २५, २ गमा ७३, २ गुलगुलायइ ४१, १ गाम दाहिण गमइ ७३, २ गमाणि ६८,२ र गुलणी ९, २ गामनइ पाषइ अधिकार ७५,१ गलधाणी २२, १ गयउ ४९, २ गाम बिडे विचि ७४, १ गरढड ३२, २.६६,३. गुलपापडी २२, १ गामरउ २५, १ गरहइ ४०,१ गुलमंडा १४, २ गाम विचि वडु ७५, २ गरुयड १५,१ गुलियउ १८,२ गाम सविहुं गमा ७३, २ गरूउ ७९,२ र गुहिरउ १५, १ गामि ७१, २. ७२, १.७४, २ गर्गर्नु ७१, २ गुंजइ ३७, २ गामु ७३, २. ७७, २ गलअलइ ४३,७ गामेचउ ७८, ३ गुंथिवउ ९, १ गलमांठी २४,२ गूगल ३५, १ गायइ ३७, २. ७०,१ गलणउ १६, १ गूजर १६, २ गायउ १५,२ गलहथउ २५, १ गूजरी १६, २ गायवउ २५, १ गलहथियउ २५, २ गारवउ १५, १ गलियार ३५, १ गाल ८,१ गूंडा समी ७७, १ गवाणि २१,२ गालउ ३९, १ गूणि ९, १ गहिलउ १८,२ गालिङ ५२,१ गृह ९, १ [गहुं] ७८, २ गाह २२, १ गूंथइ ४४, १.४९, १. ७०, १ गहूं ७७, १ गाहइ ४४,१ गूंथ्यउ ५१, १ गंगा ७४,२ गांठइ ४२, १ गूंद २४, १ गंगेटी २४,२ गांटि १२, १ गूंफइ ४९, १ गंधाअइ ४४,१ गांधि १९, १ [गूफिर] ५१, १ गंभारउ ३३,१ गिणइ ३७, १.४८, १ गूंहली ६७, १ गाइ १८,२.२१,१.४८,१.७२,२ गिर १८, १ गेरू ११, २ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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