Book Title: Uktiratnakara
Author(s): Jinvijay
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir

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Page 112
________________ शब्दानुक्रम छट्ठीलिखित २४, २ छींडणि ६६,२ जणावइ ४७,१ छठि ३१, २ छींडी २१, २ जतियारउ २०,२ छतु (प्र०) ६०,३ छुरउ २४, २ जननइ समूहु ७६,२ छत्रीस २८,२ छूटइ ४३, २.४८, २. ७०, १ जनम १४, १ छपन २९, १ छेकइ ४४,२ जनोई १०,१ छप्पई १३," छेकडि ६६, २ जपइ ३८, २.८०,२ छमकारिउ ५१, २ छेतरियउ २६, २ जपमाली २१, १ छमकाव्यङ ६८,२ छेदइ १२, २. ४८, ९ जमवारउ १८," छयकारु ६७,२ छेदियउ १४, २ जमाई ६७, २ छयालीस २९, १ छेहि ७५, २ जमिवा वांछइ ८१, २ छ रितु ६,१ छेहिलू ५५, १ जयणा १८," छहत्तरि २९, २ छोडिउ ५०,२ जरिउ ५०,१ छाजइ ४०,२ छोति १५, २ जल ७८,१ छाजउ २२, १ छोह ३२, १ जलो १३, १ छाणउ १३, २ जव ३३, १ छाणावलि ६९,२ छ्यासी २९, २ जवखार १०,२ छात्र ७५, २ जस ३४,२ छानउ १९,१ जइ ५६, . जहियइ २७, १. ५५, २ छायइ ४२,२ जइ करत ३६ जहीइं (प्र०) ६२, ४ छार १०,१ जइ किमइ ६३, २ जहींय ६२,२ छालउ १३,२ जइ किम्हइ ३१,२ जं ६३, २ छालि १२, १ जइ कीजत ३६ जंभाआइ ४०,२ छाली ७१, २ जइ दीजत ३६ जाइ १२, २.७५, २.८०,१ छावडउ ६,२ जइ देत ३६ जाइफल ९,१ छावति ११,१ जइ लीजत ३६ जाइवउं ६२, १. ७२, छावीस २८, २ जइ लेत ३६ जाइवा (प्र०) ६१, १ छासठि २९, १ जई (प्र०) ६१, १ जाइवा वांछइ ८१, १ छांडइ ४१, २.८०, २. ४६,२ जईतउं ६०, २ जाई ६१, १ छांडिवा वांछइ ८१, १ जईतूं (प्र०) ६०, ४ जागइ ३७, १.४७, २.७०१. छांडिवू ५३, ११ जईयइ किमइ (प्र०) ६३, ४ जागीइ ७१,१ छांह १५, ५ जाग्यउ ४९,२ जउ ५५,२ छिछ (प?) इ ७०, १ जउणा २२, १ जाजरउ २२, छिन्नु ३०,१ जाडउ १७, १ जउराणउ ६,१ छिवइ ४०, २. ४३, २ जाण अहो पुरुष जगाडइ ४७,२ छीकउ १९, १ आपणि लहुडा जट्ट १५, १ थ्या[...वस्त्र ७८,२ छीकणी २५, २ जड १२,१ पहिरता छीडणि (प्र०) ६६, ४ जडपणउ २७, २ जाणइ ४१, १. ४७, १.७३, ५. छीतर २२, २ जडी १७, १ जाणउं ६२, २ छीपउ ६७,२ जणउ ३४,१ जाणतउ ६०,२ छींकइ ४४, २. ४७, २ जणाइ ४४,२ जाणनहारु ६१,२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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