Book Title: Uktiratnakara
Author(s): Jinvijay
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir

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Page 37
________________ पण्डितप्रवर-श्रीसाधुसुन्दरगणि-कृत सांखडि संखडिः संस्कृतिर्वा । दीह दिवसः । वीवाहपगरण विवाहप्रकरणम् । राति रात्रिः । पढमाली प्रथमालिका। वरसात वर्षारात्रः । कोठार कोष्ठागारम् । रखवालउ रक्षपालः। भंडार भाण्डागारम् । वासउ वासकः। अरहट अरघट्टः। कोठउ कोष्ठकः । घरटी घरिट्टिका। ओही वीट उपधिबेण्टलिका, घरट घरट्टः। उपधिवेष्टिका वा। चमार चर्मकारः । वेसाघाडउ वेश्यापाटकः। वाणही उपानत् । दंडाउंछणउ दण्डकपुञ्छनम् । सूपडउ सूर्पकम् । घीरी तरी मृतस्य तरिका । चालणी चालनी। ऊकुडउ उत्कुटुकः। नीसा मिश्रा । ऊकडू (प्र०) उत्कुटकः । लोढउ लोष्टकः। गिलोई गिरोलिका । ढल दलिः। गोआडइरउ खात्र गोवाटकस्य क्षात्रम् । नीसरणी निःश्रेणिः । पडजीभी प्रतिजिह्वा । पोली पोलिका। फोडी स्फोटिका। पूडा पूपकाः। आजिकाल्हि जतियारउ घण ठाणउ वडी वटिका। । छई अद्यकल्ले यतीनां धनस्थानकमस्ति। वडा वटकाः । दयामणउ दयामनकः । लाडू लड्डुकाः । निसूग निःशूकः । खाजा खाद्यकानि । ससूग सशूकः । ऊकरडी उत्कुरुटिका। निद्धंधस निर्द्धन्धसः । दुक्खइ करालियउ दुःखेन करालितः । भाणउ भाजनम् । साधुसंघाडउ साधुसंघाटकः ।। थाल स्थालम् । त्रेगति (डि ) त्रिकाष्टिका । थाली स्थालिका। तेरइ काठिया त्रयोदश काष्टिकाः । रांधणउ रन्धनम् । सूतउ घोरइ सुप्तो घोरयति । कातती कर्त्तन्ती। सीयालउ शीतकालः। पीजती पिञ्जन्ती। उन्हालउ उष्णकालः । पीसती पिंषन्ती। घडियालउ घटिकालयः । मूंदडी मुद्रिका । घडी घटिका। सांकली संकलिका। पहर प्रहरः। सरसवेल सर्षपतैलम् । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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