Book Title: Uktiratnakara
Author(s): Jinvijay
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir

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Page 105
________________ उक्तिरनाकरादि अन्तर्गत एयु पोष्यवर्गरहिं ७२, ३ रहुं २७, २ एयु प्रधानरहि ७२, १ ऑरीसउ ३२, १ एयु प्रशस्यु कहइ ७९, २ ऑलउ २६,२ एयु बोल्या प्रयोग ७२, २ । औलखइ ४४, १.४८, १ एयु ब्राह्मणप्रति ७३, २ ऑलखउ २६, १ एयु भुंडउ ७४, १ ऑलखाणउ ३१, १ एयु लहुडउ ७९, १ ऑलखिउ ५०,२ एयु वड्डु कहइ ८०, १ ऑलग १६, १ . एयु वाधइ ७१, ऑलगइ ४८, २ एयु वेद पढणहारु ७२, १ ऑलगिवू ५४,२ एयु व्याकरणु जाणइ ७७, १ ऑलग्यउ ५०, २ एयु शास्त्र वाचणहारु ७२, १ ऑलवइ ४८, २ एयु श्राद्धतणउ ७२, २ ऑलविउ ५१,२ एयु सुखिहिं ७३, १ ऑलंभइ ७०, २ एयु हस्खु ७९, २ ऑलंभउ ६,२ एलियउ १७, २ ऑली ३४, १ एव ५७, १ ऑसरइ ४०, १ एव९ ६३, २ एवाल ३४, २ क३१, १ एह ३५,२ कउछ १२, २ एह ठाम हुंतउ ५६, २ कउठ १२, २ ओघउ २१, कउडी १३, १ ओझउ ५, १ कउसीसउ २६, २ ओटइ ४८, १ कचोलउ १८, १ ओठी १६, २ कच्चोलउ १६,१ ओढणउं ६७, २ कच्छोटउ ९, १ ओरस (प्र०) ६६, १ कडउ ९,३ ओरसु ६६, २ कडकडा ४३,२ ओलंडइ ३८१ कडणि २२, २ ओल्यउ ६४, २ कडब ३२, २.६८,२ ओवड १९,१ कडहटउ ३५, ओस ११,२ कडाहउ ११,१ ओसड २५, १ कडि ८, २ मोही २०, २ कडिदोरउ ३२,२ आँगालइ ४०, १ कडि समा ७७, १ ऑठंभइ ४४, १ कडुछउ २१, ऑड २१, २ कडुछी २११ ऑडक ६७,२ कडू २१,१ ऑढइ ४२,२ कणउज ३५.७ ऑधाहूली ३५, २ कणनउ ७८,१ कणयर ३३, १ कणहतउ १६,१ कणि ७२, १ कणियार ३४, १ कणी २३, कथीर ११, २ कन्या ७७, २ कन्हइ ५६, २ कन्हलि ७३, २. ७४, १.७५, १ कपास १२, १ कपीलउ २४, २ कपूर ९, १ कमलउ २३, १ कम(व)ली ३४, १ कयर १२,२ करइ १८,१.१८, २.३७, १ करडइ ४२, ३ करणहार ३६, पं० २२. ६१,३ करणहारु ६१, २. ६२,२ करणाहरु ३६, पं० ३३ करत ७८, २ करतउ २६, १..७०," करतु (प्र०) ६०,२ करतुं ६२, १ करमदउ २५, ५ करवत १०,२ करवतरहिं हितूउं ७७, २ करवती ३५, करवा ८२, १ करसउ १०,१ करसणु ७३, १ करहउ १३, २ करंबउ २२, २ करा ६, १ करालियउ २०, कराइ ४४,२ करावह ४७, १. ७३," करि ३५ करिजे ३५ करिवङ ३६, ५० ३१. ५२, २ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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