Book Title: Uktiratnakara
Author(s): Jinvijay
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir

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Page 38
________________ उक्तिरनाकर अलसिवेल अतसीतैलम् । पमार परमारः। जावेल जात्यतैलम् । सोलंकी चौलुक्यः । कडुछी कटुच्छकिका। पोरवाड प्राग्वाटः । कडुछउ कटुच्छकः । भाट भट्टः । उवाणउ ठाण उद्वानं स्थानम् । ऊड उडः । चेलउ कहियइ घेणू गाइ चेल्लकः कथ्यते ओंड ओड्डूः । धेनुः । थूभ स्तूपम् । वाउलि वातोली। थडउ स्थलकम् । लूणकयरा लवणकरीराणि । रूंख रुक्षः (वृक्षः ?) पाउंछणउ पादपुन्छनकम् । वाडी वाटिका। ओघउ ओघः । देवदत्त अधूरउ पूरिसइ निसेजा निषद्या । देवदत्तः अद्धं पूरयिष्यति । चोलवटउ चोलपट्टः । आठउ अष्टकः ।। पछेवडी प्रच्छादपटी। लेव लेपः । पडघउ पतवहम् । चूंटउ घट्टकः । वींटणउ वेष्टनकम् । आंबाफाड आम्रपाली । कीटी किट्टिका। पूगीफाड पूगीफलफाली। वानी वर्णिका। गवाणि गवादनी । वानगी वर्णिका। रूतउ रुप्तः । पलीवणउ प्रदीपनकम् । कुपियउ कुपितः । राजवी राजबीजी। ऊग्रहणी उद्हणिका। काज नीवडियउ कार्य निर्वटितम् । छींडी खण्डी। जोगवटउ योगपः । पुत्रि जायइ वधामणउ नवकारवाली नमस्कारमालिका । ___ पुत्रे जाते वर्द्धमानकम् । जपमाली जपमालिका । घूघुरउ धुर्धरः । ऊछीनउ उच्छिन्नम् । सेई सेतिका। खत उपरि खार दीधउ मुंडउ मुण्डकः । ___ क्षतस्योपरि क्षारो दत्तः । कूटणउ कुट्टनम् । कडू कटुकम् । पीटणउ पिट्टनम् । निसोत निःश्रोतः। दीवाकाणउ दीपकाणः । वज वचा। फरलउ फरलः । तज त्वक् । कोटवाल कोट्टपालः। राठऊड राष्ट्रकूटः। ऊघाडिवउ उद्घाटनम् । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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