Book Title: Uktiratnakara
Author(s): Jinvijay
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir

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Page 54
________________ अथ क्रियापदानि - हवइ भवति । कलइ कलयति । गिणइ गणयति । गुणइ गुणयति । चीत्रइ चित्रयति । दूषइ दूषयति । मूत्रइ मूत्रयति रचइ रचयति । विरचइ विरचयति । वर्णव वर्णयति । कहइ कथयति । परूवइ प्ररूपयति । वांटइ वण्टयति । fishes हिंदोलयति । धमइ धमति । पियइ पिबति । जायइ याति । लियइ लाति । वायइवाति । न्हायइ स्नाति । चिणइ चिनोति । ऊडइ उड्डयते । धूणइ धूनयति । करइ करोति, करता । जाग जागर्त्ति । आदर आद्रियते । धरइ धरति । भरइ भरति । मरइम्रियते वर वृणुते । हर हरति । गिरइ गिरति । Jain Education International उक्तिरत्नाकर तरइ तरति । गायइ गायति । ध्यायइ ध्यायति । धायइ प्रायति । सं शङ्कते । ares हिति । लिखइ लिखति । माइ मार्गयति । अरथइ अर्थति । लांघइ लङ्घते । अरचइ अर्चयति । संकुचइ संकुचति । चर्चयति । चरचइ पचइ पचति । चलुञ्चति । वाचइ वाचयति । वंचइ वञ्चयते । सोचइ शोचति । सींचइ सिश्चति । पूछइ पृच्छति । वांछ वाञ्छति । उपारजइ उपार्जति । गाजइ गर्जति 1 आंजइ अनक्ति । गुंज गुञ्जति । कूजइ कूजति । तर्जइ तर्जति । तिजइ व्यजति । पींजइ पिञ्जयति । भांडइ भण्डयति । भांजइ भनक्ति । भाजइ भज्यते । मांजर मार्ष्टि, मार्जति वा । For Private & Personal Use Only ३७ www.jainelibrary.org

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