Book Title: Tulsi Prajna 1978 10
Author(s): Nathmal Tatia
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 10
________________ अहिंसा के प्रयोग आचार्य श्री तुलसी अहिंसा शब्द में ऐसी मधुर मिठास है, जो मनुष्य के पोर-पोर को मधुरिमा से भर देती है । इसकी मिठास का प्रभाव किसी व्यक्ति या वर्ग विशेष पर नहीं, समग्र संसार पर है। यही कारण है कि विश्व के सभी लोगों ने इसका प्रयोग किया है और सुफल पाया है। धार्मिक लोग अहिंसा की गरिमा गाए याअपनी समस्याओं का समाधान इसी से पाए, इसमें आश्चर्य जैसा कुछ भी नहीं है। किन्तु जब ये व्यक्ति अहिंसा के प्रयोग की बात करते हैं, जिनका धर्म या अहिंसा के साथ सीधा कोई सम्बन्ध ही नहीं होता, तब सुखद आश्चर्य होता है। ___ इस युग में राजनीति में अहिंसा का प्रयोग करने वालों में गांधी जी का नाम शीर्षस्थानीय है । उन्होंने भारतीय राजनीति के सन्दर्भ में एक नई क्रान्ति की । शताब्दियों से परतन्त्र राष्ट्र चेतना को अहिंसा की शक्ति से स्वतन्त्र करने की घोषणा की और उसकी क्रियान्विति के लिए कर्म क्षेत्र में उतर पड़े। विदेशी सत्ता चरमरा उठी । उसने अहिंसा के समक्ष घुटने टेक दिए। भारत स्वतन्त्र हो गया । आज भी गांधी जी के अनुयायी राजनीति में अहिंसा का प्रयोग कर रहे हैं । इस प्रयोग के पीछे उनकी आस्था कितनी है ? यह प्रश्न तो अब तक अनुत्तरित रहा है, पर सैद्धान्तिक रूप से अहिंसा की मूल्यवत्ता निर्विवाद रूप से स्वीकृत की जा रही है। अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं को आज अहिंसा के मंच से सुलझाने का प्रयास किया जा रहा है, यह भी अपने आप में एक नया प्रयोग है। शस्त्रास्त्र-निर्माण की प्रतिस्पर्धा में निःशस्त्रीकरण के जो स्वर सुनाई दे रहे हैं, वह अहिंसक चिन्तन की ही फलश्रुति है । विरोधी विचारों घाले व्यक्तियों का सामंजस्यपूर्ण सहावस्थान अहिंसा की भूमिका पर ही हो सकता है। इसी दृष्टि से संयुक्त राष्ट्र संघ जैसे अन्तर्राष्ट्रीय संस्थान अहिंसात्मक मूल्यों में विश्व शान्ति की कल्पना कर रहे हैं। अपराध जगत में आज अहिंसा के विशेष प्रयोग हो रहे हैं । प्राचीन समय में कारावास यन्त्रणा गृह के रूप में प्रसिद्ध थे। वहां अपराधियों को घोर शारीरिक और मानसिक यातनाएं दी जाती थीं। इससे उनका विद्रोह अधिक प्रबल होता और वे जेलों से मुक्त होते ही पहले से भी भयंकर अपराधों में संलग्न हो जाते । दमन की नीति अपराध कम करने में तुलसी प्रज्ञा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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