Book Title: Tulsi Prajna 1978 10
Author(s): Nathmal Tatia
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 39
________________ की जन्म स्थलो कंटालिया में मनाया गया। इसी पंथ के अष्टम आचार्य श्री कालूराम जी द्वारा भी बगड़ी-सुधरीमें वि० सं० १९६१ का मर्यादा महोत्सव मनाया गया। वर्तमान आचार्य श्री तलसी ने वि० सं० 2010 में राणावास में मर्यादा महोत्सव मनाया। इन कारणों से भी श्वेताम्बर तेरापंथ के इन ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थानों का महत्व स्वाभाविक ही है । इसकी महत्ता बनी रहे, इसके लिये यहां मानव कल्याण सम्बन्धी रचनात्मक गतिविधियों का शुभारम्भ किया जाना अपेक्षित है। छतरी सिर पर थी । उसे घमण्ड हो गया था। उसने कहा-मैं सिर को धप तथा सर्दी से बचाती हूं। मैं बड़ी हूं। उसने अपने अहं को प्रकट कर दिया। सिर ने कहाछतरी, तुम ठीक कहती हो । तुम गर्मी और सर्दी से मेरी रक्षा करती हो, परन्त यह बताओ कि तुमको बनाया किसने ? तुम्हारा निर्माण मस्तिष्क ने ही किया है। किसी गायबकरी ने तो किया नहीं। परम्पराएं सत्य पर आधारित होती है । यदि सत्य को हटा दिया जाय तो परम्परा का मूल्य ही क्या रह जाता है ? X एक राजा ने खूब अच्छा-सा तालाब बनवाया। मन्त्री लोग एकत्रित हए। सबने तालाब की भूरि-भूरि प्रशंसा की । सर्व सम्मति से निश्चय किया गया कि इस तालाब को दूध से भरा जाय । राज्यभर में घोषणा कर दी गई कि हर परिवार इसमें एक-एक लोटा दध अनिवार्यतः डाले । एक व्यक्ति ने सोचा कि लाखों परिवार दूध डालेंगे। यदि मैं एक लोटा पानी डालू तो क्या अन्तर पड़ेगा? यह सोच कर उसने एक लोटा पानी डाल दिया। दूसरे दिन राजा एवं मन्त्रीगण तालाब के किनारे एकत्रित हुए। तालाब पानी से लबालब भरा था। स्थिति यह बनी कि जैसे एक व्यक्ति ने पानी डालने का सोचा, वैसे ही सभी ने सोच लिया। + स्थानांग सूत्र में आठ ऐसे कारण बताए गए हैं, जिनसे व्यक्ति आलोचना नहीं करता, प्रतिक्रमण नहीं करता, उनसे दूर होने का संकल्प नहीं करता । (१) मैंने अकरणीय कार्य किया है, अब क्या आलोचना करु ? (२) मैं दोष का सेवन कर ही रहा हूं। (३) अभी भी करूंगा। (४) आलोचना करूंगा तो अपकीर्ति होगी। (५) मेरा अपयश होगा। (६) अविनय होगा। (७) गुरु सोचेंगे कि इसे विनीत समझा था, परन्तु अविनीत निकला। (८) प्रायश्चित करूंगा तो अजित प्रतिष्ठा समाप्त हो जायगी। ये कारण व्यक्ति को प्रायश्चित न करने की ओर प्रेरित करते हैं। + खण्ड ४, अंक ३-४ २२३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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