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तित्थोगाली पइन्नय ]
आइल्ला छव्वित्थीओ, नागकुमारेसु हुति स्ववण्णाः । एगा सिद्धि पचा, मरुदेवी नाभिणं पत्ती । ८७ । ( आद्याः षडपि स्त्रियः, नागकुमारेषु भवन्ति उपपन्ना । एका सिद्धि प्राप्ता मरुदेवी नाभेः पत्नी ।)
सात कुलकर पत्नियों में से आदि की छः नागकुमारों में उत्पन्न हुई और अन्तिम एक नाभि कुलकर को पत्नी मरुदेवी सिद्धबुद्ध-मुक्त हुई ।८७|
हक्कारे मक्कारे, धिक्कारे चेत्र दंडनीईओ । बोच्छं तासि विसेमं जहक्कम आणुपुवीए । ८८ । ( हक्कारा: मक्काराः धिक्काराश्चैव दण्डनीत्यः । वक्ष्ये तासां विशेषं यथाक्रमं आनुपूर्व्या )
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उन कुलकरों की 'हक्कार' मकार' और 'धिक्कार' - ये तीन प्रकार की दण्डनीतियां थीं। मैं उनका विशेष रूप से अनुक्रमशः कथन
करूंगा ||
पढमंत्रीयांण पढमा, तइयचउत्थाण अहिणवा बिया ।
पंचम स्य, सत्तमस्स विसेसं तझ्या अभिणवाउ । ८९ । (प्रथमद्वितीययोः प्रथमा, तृतीयचतुर्थयोः अभिनवा द्वितीया । पंचमषष्ठयोश्च सप्तमस्य विशेषं तृतीया अभिनवा तु ||)
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प्रथम और द्वितीय कुलकर ने अपने कुलकर-काल में पहली 'हक्कार' दण्डनीति का प्रयोग किया। तीसरे और चौथे कुलकरों ने ( प्रथम दण्डनीति के साथ साथ) मकार नामक दूसरी नवीन दण्डनीति का और तदनन्तर पांचवें, छट्टु और सातवें कुलकरों ने पहली दो दण्डनोतियों के साथ २ विशेषतः अभिनवा तीसरी दण्डनीति'धिक्कार' का प्रयोग किया ||
एवं चैव वतव्वा (बया), एरवाईसु नवसु खेत सु ।
इक्किक्कंमि य तया सचैव य कुलगरा कमसो | ९० |
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