Book Title: Titthogali Painnaya Author(s): Kalyanvijay Publisher: Shwetambar Jain Sangh View full book textPage 407
________________ जम्मणमरणजलोघं दुखयरकिलेससोगवीचीयं । इय संसार-समुह तरंति चदुरंगणावाए ।। यह संसार समुद्र जन्म-मरण रूप जल प्रवाह वाला, दुःख, क्लेश और शोक रूप तंरगों वाला है । इसे सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान, सम्यक्चारित्र और सम्यक्तप रूप चतुरंग नाव से मुमुक्षुजन पार करते हैं ।Page Navigation
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