Book Title: Titthogali Painnaya
Author(s): Kalyanvijay
Publisher: Shwetambar Jain Sangh

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Page 334
________________ तित्थोगाली पइन्नय ] ... [ ३०७ वह अश्वारोही, गजारोहो और रथारोही योद्धाओं से सन्नद्ध, सहज ही हाकल मात्र से प्रतिपक्षी शत्रुओं का विदारण कर उन्हें रम से भगा देने वाला, प्रसिद्ध महा पराक्रमी और वैश्रवण के समान वैभवशाली होगा ।१०२०। उत्तमरूवसरूवो, उत्तम विण्णाण णाण संपन्नो । वज्ज रिसमसंघयणो, इंदीवरलोयणो राया ।१०२१॥ (उत्तम रूपस्वरूप, उत्तमविज्ञान-ज्ञान सम्पन्नः । वज्रर्षभ संहननः, इन्दीवरलोचनः राजा ।) कमल के विकसित फूलों के समान विशाल लोचनों वाला वह राजा वज्र ऋषभनाराच-संहनन का धनी, उत्तम रूप स्वरूप एवं उत्तम ज्ञान तथा विज्ञान से सम्पन्न होगा।१०२१। होही भदा पची, सुवण्णवण्णा वराणणा सुभगा । पढ मिल्ले संघयणे, चउसटिकलाण गहियन्या ।१०२२॥ (भविष्यति भद्रा पत्नी, सुवर्णवर्णा वरानना सुभगा। प्रथमक संहननाः, चतुःषष्टि कलानां गृहीतव्या ।) उस सुमति नामक कुलकगर के स्वर्ण के समान वर्ण वाली, समुखी सुभगा, वच ऋषभ नाराच संहनन की धारिका और चौसठ कलाओं की निधान भद्रा नाम की पत्नी होगी ।१०२२॥ उस्सप्पिणी इमीसे, बीति समाए उ वणियं किंचि । इगवीस सहस्साई, बीओ अरगो य नायव्यो ।१०२३। (उत्सर्पिण्या अस्यां, द्वितीय समायाः तु वर्णितं किञ्चित् । एक विंशतिः सहस्राणि, द्वितीयः आरकश्च ज्ञातव्यः ।). . आगामी उत्सर्पिणी काल के द्वितीय आरक के सम्बन्ध में कुछ वर्णन किया गया। वह द्वितीय आरक २१,००० वर्ष की स्थिति वाला जानना चाहिए।१०२३।

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