Book Title: Tirthankar Charitra Part 2
Author(s): Ratanlal Doshi
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 11
________________ (१०) N MAN क्रमांक विषय पृष्ठ क्रमांक विषय पृष्ठ २२६ पाण्डवों की उत्पत्ति ४०३ | २५३ एकलव्य की विद्या-साधना ४४६ २२७ द्रौपदी का स्वयंवर और पाण्डव-वरण ४०४ ५५४ कुमारों की कला-परीक्षा ४४८ २२८ द्रौपदी-चरित्र ४ नागश्री का भव ४०५ | २५५ कर्ण का जाति-कुल ४५१ २२६ सुकुमालिका के भव में ४०८ २५६ राधावेध और द्रौपदी से लग्न ४५४ २३० भिखारी का संयोग और वियोग ४१० २५७ पाण्डवों की प्रतिज्ञा ४५५ २३१ त्यागी श्रमण, भोग साधन नहीं जुटाते ४१२ २५८ अर्जुन द्वारा डाकुओं का दमन और १३२ सुकुमालिका साध्वी बनती है ४१२ विदेश-गमन २३३ पाँच पति पाने का निदान ४१३ २५६ मणिचूड़ की कथा ४६० २३४ राजकुमारी गंगा का प्रण ४१५ २६० हेमांगद और प्रभावती का उद्धार ४६२ २३५ राजा शान्तनु का गंगा के साथ लग्न ४१६ २६१ सुभद्रा के साथ लग्न और हस्तिनापुर २३६ गांगेय का जन्म और गुहत्याग ४१८ आगमन ४६५ २३७ सत्यवती ४१९ २६२ युधिष्ठिर का राज्याभिषेक ४६६ २३८ गंगा और गांगेय का वनवास ४२० २६३ दुर्योधन की जलन ४६६ २३९ गांगेय का पिता से युद्ध और मिलन ४२१ २६४ पाण्डवों की दिग्विजय और दुर्योधन २४० गांगेय की भीष्म-प्रतिज्ञा ४२५ की वैरवृद्धि २४१ शान्तनु का देहावसान ४३० ६६५ दुर्योधन की हास्यास्पद स्थिति २४२ चित्रांगद का राज्याभिषेक और मृत्यु ४३० २६६ षड्यन्त्र ४६९ २४३ विचित्रवीर्य का राज्याभिषेक और लग्न ४३१ २६७ व्यसन का दुष्परिणाम ४७१ २४४ धृतराष्ट पाण्डु और विदुर का जन्म ४३३ २६८ दुर्योधन की दुष्टता २४५ पाण्डु को राज्याधिकार ४३४ २६९ पाण्डवों की हस्तिनापुर से बिदाई २४६ पाण्डु का कुन्ती के साय गन्धर्वलग्न ४३४ | २७० दुर्योधन का दुष्कर्म ४७९ २४७ कुन्ती के पुत्र-जन्म और त्याग ४३७ २७१ भोम के साथ हिडिम्बा के लग्न २४८ युधिष्ठिरादि पाण्डवों की उत्पत्ति ४३८ | २७२ द्रौपदी की सिंह और सर्प से रक्षा ४८५ २४६ कौरवों की उत्पत्ति ४४० २७३ हिडिम्बा अहिंसक बनी ४८७ २५० दुर्योधन का डाह और वैरवृद्धि ४४२ । २७४ राक्षक से नगर की रक्षा ४८८ २५१ भीम को मारने का षड़यन्त्र ४४३ २७५ दुर्योधन की चिन्ता और शकुनि का २५२ कृपाचार्य और द्रोणाचार्य का आश्वासन ४९२ ४६७ ४६८ ४७२ ४७५ ४८२ ४४४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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