Book Title: Tirthankar Charitra Part 2
Author(s): Ratanlal Doshi
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 9
________________ ( ८ ) क्रमांक विषय पृष्ठ | क्रमांक विषय पृष्ठ । १४३ राम का भविष्य २२५ | १५० राम का मोह-भंग, प्रव्रज्या और निर्वाण २३३ १४४ रावण सीता और लक्ष्मणादि का पूर्व परिशिष्ट २४० सम्बन्ध २२५ / १५१ गंगदत्त मुनि चरित्र १४५ लवण और अंकुश के पूर्वभव २२९ | १५२ कार्तिक श्रेष्ठी--शकेन्द्र का जीव २४२ १४६ राम-लक्ष्मण के पुत्रों में विग्रह | भ. नमिनाथजी २४३ १४७ भामण्डल का वैराग्य और मृत्यु २३१ १४८ हनुमान का मोक्ष २३१ | १५३ धर्म-देशना--श्रावक के कर्तव्य २४४ १४६ लक्ष्मणजी का देहावसान और लवणां- १५४ चक्रवर्ती हरिसेन कुश की मुक्ति २३२ | १५५ चक्रवर्ती जयसेन २३० २४८ भगवान् अरिष्टनेमिजी 289 २७७ क्रमांक विषय पृष्ठ | १६७ वसुदेवजी का हरण और नीलयशा १५६ पूर्व भव २४९ से लग्न २९४ १५७ वसुदेवजी २७२ । १६८ नीलयशा का हरण और सोमश्री से १५८ नन्दीसेन २७३ लग्न २६६ १५९ कंस जन्म १६९ जादूगर द्वारा हरण और नरराक्षस १६० कंस का पराक्रम २७९ का मरण २६७ १६१ कंस का जीवयशा से लग्न २८० १७. एक साथ पांच सौ पत्नियां २९९ १६२ पति के दुःख से दुखी महारानी का १७१ वसुदेव का वेगवती से छलपूर्वक लग्न ३०२ महा क्लेश १७२ जरासंध द्वारा वसुदेव की हत्या का १६३ वसुदेव द्वारा मृत्यु का ढोंग और। प्रयास ३०४ विदेश गमन | १७३ बालचन्द्रा का वृतान्त ३०६ १६४ वसुदेव के लग्न २८३ / १७४ प्रियंगुसुन्दरी का वृतान्त और मूर्तियों १६५ प्रतियोगिता में विजय और गन्धर्व का रहस्य सेना से लग्न २८५ | १७५ गौतम ऋषि और अहल्या का नाटक ३०९ १६६ चारुदत्त की कथा २८७ | १७६ प्रियंगसुन्दरी का वृतान्त ३११ ३०७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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