Book Title: Tirthankar Charitra Part 2
Author(s): Ratanlal Doshi
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 10
________________ (6) ३२८ mm क्रमांक विषय पृष्ठ क्रपांक विषय पृष्ठ १७७ सोमश्री से मिलन और मानसवेग २०१ अतिमुक्त मुनि का भविष्य-कथन से युद्ध ३१२ । | २०२ देवकी के गर्भ की मांग १७८ सूर्पक द्वारा वसुदेव का हरण ३१३ २०३ देवकी रानी के छह पुत्रों का जन्म १७९ हंम-कनकवर्त -संवाद ३१४ और संहरण १८० वसुदेव पर कुबेर की कृपा नकवती २०४ कृष्ण-जन्म से लग्न २०५ नन्द के गोकुल में १८१ नल-दमयंती आख्यान--कुबेर द्वारा ३२० २०६ शकुनी और पूतना का वध ३६८ १८२ जुआ खेल कर हारे x वन गमन ३२५ २०७ भातृ-मिलन और कृष्ण का प्रभाव ३७० १८३ नल दमयंती का वियोग २०८ गोपांगनाओं के प्रिय कृष्ण ३७० १८४ दमयंती को वन में ही छोड़ दिया। २०९ भगवान् अरिष्टनेमि का जन्म १७१ १८५ दमयंती का दुःसह प्रभात २१० शत्रु की खोज और वृन्दावन में उपद्रव ३७२ १८६ सती ने डाकू-सेना को भगाया ३३३ २११ सत्यभामा दाव पर लगी ३७४ १८७ राक्षस को प्रतिबोध ३३४ २१२ नाग का दमन और हाथियों का हनन ३७६ १८८ दमयंती के प्रभाव से वर्षा थमी और २१३ मल्लों का मर्दन और कंस का हनन ३७७ तापस जैन बने २१४ उग्रसेनजी की मुक्ति। सत्यभामा से लग्न ३८० १८९ दमयंती मौसी के घर पहुंची ३४० २१५ जरासंध की भीषण प्रतिज्ञा और बन्धु१९० दमयंती का भेद खुला ३४३ युगल की मांग ३८१ १६१ दमयंती पीहर में ३४४ १९२ नल की विडम्बना और देव-सहाय्य ३४५ २१६ यादवों का स्वदेश-त्याग ३८३ १९३ नल का गज-साधन ३४७ २१७ काल कुमार काल के गाल में ३८४ १६४ दमयंती के पुनर्विवाह का आयोजन ३५० २१८ पुत्र प्राप्ति और द्वारिका का निर्माण ३८५ १९५ पति-पत्नी मिलन और राज्य प्राप्ति ३५२ २१९ रुक्मिणी विवाह ३८७ १९६ वसुदेव का हरण और पद्मश्री आदि २२० कृष्ण के जाम्बवती आदि से लग्न ३९३ से लग्न २२१ कृष्ण के सुसीमा आदि से लग्न ३६४ १६७ मातृ-मिलन और रोहिणी के साथ लग्न ३५६ २२२ सोतिया डाह ३९४ १९८ बलदेव का पूर्वभव और जन्म ३५६ | २२३ प्रद्युम्न का धूमकेतु द्वारा संहरण १६६ नारदजी का परिचय ३६१ | २२४ प्रद्युम्न कुमार और धूमकेतु के पूर्वभव ३९७ २०० वसुदेव का देवकी के साथ लग्न ३६१ | २२५ रुक्मिणी के पूर्वभव ४०१ ३५५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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