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अनु० ७ ]
शाङ्करभाष्यार्थ
नागम्यते नूनं तदस्ति भयकारण
युक्तम् । सर्व च जगद्भयवद्- | होनेवाला भय सम्भव नहीं था । दृश्यते । तस्माज्जगतो भयदर्श - किन्तु सारा ही संसार भययुक्त देखा जाता है । अतः जगत्को भय होता देखनेसे जाना जाता है कि उसके भयका कारण उच्छेदका हेतुभूत किन्तु स्वयं अनुच्छेद्यरूप ब्रह्म है, जिससे कि जगत् भय मानता है । इसी अर्थ में यह श्लोक भी है ॥ १ ॥
मुच्छेदहेतुरनुच्छेद्यात्मकं यतो जंगद्विभेतीति । तदेतस्मिन्नप्यर्थ
एप श्लोको भवति ॥ १ ॥
इति ब्रह्मानन्दवल्ल्यां सप्तमोऽनुवाकः ॥ ७ ॥