Book Title: Sutrakrutanga Sutram Part 03
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 545
________________ समयार्थबोधिनी टीका प्र. श्रु. अ. १५ आदानीयस्वरूपनिरूपणम् अन्वयार्थ:--(धीरा) धीराः-परीपहोपसर्गसहनशीलाः (अंताणि) अन्तान्अन्तमान्तान् आहारान् (सेवंति) सेवन्ते (तेण) तेनान्तपान्ताहार सेवनेन (इइ) इह संभारे (अंतकरा) अंतकरा:-सर्वदुःखानामन्तकारिणो भवन्ति अतस्त एवान्तपान्ताहारिणः (णरा) नरा (इह) इह (माणुस्मए ठाणे) मानुष्य के स्थाने मनुष्यलोके (धम्म) धर्म-सम्यग्ज्ञानदर्शनचारित्ररूपम् (आराहिउं) आराधितुं-सम्यगा. चरितुं योग्या भवन्ति नान्ये इति ॥१५॥ टीका--पूर्वगायोक्तमेवार्थ विशदयति-धीरा' धीराः-देवतिर्यग्मनुष्यक:परीपहोपसर्गसहनशीलाः सदसद्विवेकवन्त:: 'अंवाणि' अन्तान्-वल्लचणकादिनिष्पादिताम्लतक्रमिश्रितपर्युषितरसवनिताहारान् अथवा शब्दादिविषयान्तान् शब्दादिविषयत्यागान से वंति' सेबन्ते 'तेग' तेन हेतुना 'वह' इद संसारे 'अंगधर्मम्' सम्पक् दर्शन ज्ञान चारित्र रूप धर्म को 'आराहि-आराधितु" आराधन करने में योग्य होता है ॥१५॥ अन्वयार्थ-धीर पुरुष अन्त प्रान्त आहार का सेवन करते हैं । अन्त प्रान्त आहार का सेवन करने से वे समस्त दुःखों का अन्त करने वाले होते हैं। ऐसे ही पुरुष इस मनुष्यलोक में धर्म की आराधना करने के योग्य होते हैं ॥१५॥ टीकार्थ-पूर्वगाथा में कथित अर्थ का स्पष्टीकरण किया जाता है धीर अर्थात् देव, तिर्य च और मनुष्य कृत उपसर्गों को सहन करनेवाले, सत् असत् के विवेक से युक्त सोधु वल्लचना आदि के बने हुए अन्न, खट्टे, छाश से मिले हुए एवं नीरस आहार का सेवन करते हैं अथवा शब्दादि विषयों के परित्याग का सेवन करते हैं, अतएव वे भर्नुष्य सभा 'धम्म-धर्मम्' सन्यशन ज्ञान यारित्र ३५ धमन 'आरा हिउ-आराधितुम्' माराधना ४२वाने योग्य थाय छे. ॥१५॥ અન્વયાર્થ–ધીર પુરૂષ અંત પ્રાત આહારનું સેવન કરે છે. અન્ત પ્રાન્ત આહારનું સેવન કરવાથી તેઓ સઘળા દુખના અન્ત કરવાવાળા હોય છે. એવાજ પુરૂષ આ મનુષ્ય લેકમાં ધર્મની આરાધના કરવાને ગ્ય હોય છે. પણ ટીકાર્થ–પહેલાની ગાથામાં કહેલ અર્થનું સ્પષ્ટીકરણ કરવામાં આવે છે.-ધીર અર્થાત દેવ, તિર્યંચ અને મનુષ્ય કૃત ઉપસર્ગોને સહન કરનારા, સત્ અસલૂના વિવેકથી યુક્ત સાધુ વલ-વાલ–ચણું વિગેરેથી બનેલા પદાર્થ ખાટી છાશથી મળેલા અને નીરસ આહારનું સેવન કરે છે. અથવા શાદિ વિષયના પત્યિ ગનું સેવન કરે છે, તેથી જ તેઓ સંસાર સાગરને અથવા

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