Book Title: Suryaprajnapti Chandraprajnapti
Author(s): Madhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 10
________________ प्रथम संस्करण में उदार सहयोगी : परिचय सेठ श्री किशनलालजी बैताला सेठ श्री किशनलालजी बैताला निष्ठावान धर्मप्रेमी एवं उदारमना श्रावक हैं । आप में समाजसेवा की विशेष भावना शुरू से रही है। आपका जीवन मानवीय सद्गुणों से ओत-प्रोत रहा है। सेवा और परोपकारवृत्ति आपके कण-कण में बसी हुई है। आप श्वे..स्था. समाज की अनेकानेक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। आपने अपने पुरुषार्थ बल से विपुल लक्ष्मी का उपार्जन किया और पवित्र मानवीय भावना से ओत-प्रोत होकर धर्म तथा समाज की सेवा के लिये उस लक्ष्मी का सदुपयोग भी किया। शिक्षा एवं साहित्य प्रचार में आपकी एवं आपके समस्त परिवार की विशेष रुचि प्रारम्भ से ही रही है। आपके पिता पू. श्री पूनमचन्दजी बैताला एवं माता श्रीमती राजीबाई बैताला बहुत ही शान्त, धर्मशील एवं संतमुनिराजों की सेवा करने में तत्पर रहते थे। आपके चार भ्राता हैं - सर्वश्री दुलीचंद जी, माणकचंद जी, मदनलाल जी एवं कंवरलाल जी। सभी बंधु उद्योग एवं व्यवसाय में कुशल, वैभव सम्पन्न एवं धार्मिक तथा सामाजिक कार्यों में तन-मन-धन से सहयोग करते रहे आपकी धर्मपत्नी श्रीमती विमला देवी बैताला बड़ी सुशीला, सेवाभावी, धर्मशीला नारी है। आपके चार पुत्र हैं - सर्वश्री प्रकाशचंद जी, श्रीचंद जी, प्रेमचंद जी एवं राजेन्द्र जी। मुनि श्री हजारीमल स्मृति प्रकाशन द्वारा प्रकाशित कथामालाओं के प्रकाशन में भी आपके परिवार का काफी योगदान रहा है। आप पूज्य स्वामी जी श्री हजारीमल जी म. सा., श्री बृजलाल जी म. सा. एवं पूज्य युवाचार्य श्री मधुकर मुनि जी म. सा. तथा पू. महासती श्री उमरावकुँवर जी म. सा. 'अर्चना' के प्रति अत्यधिक भक्ति, निष्ठा एवं आदर भावना रखते हैं। आपने इस ग्रन्थ के प्रकाशन में श्री आ. प्र. स. को अपना महत्वपूर्ण हार्दिक सहयोग प्रदान किया है एतदर्थ समिति आपकी आभारी है एवं अपेक्षा रखती है कि भविष्य में भी आपका इसी प्रकार का सहयोग मिलता रहेगा। ज्ञानचंद विनायकिया मंत्री. श्री आगम प्रकाशन समिति,ब्यावर

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