Book Title: Sramana 2015 07 Author(s): Sundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi View full book textPage 8
________________ १. 3. ४. 6. 7. 8. 9. Contents जैन धर्म-दर्शन में समाधिमरण आत्महत्या नहीं प्रो० सागरमल जैन पवित्र परम्परा संथारा : एक संक्षिप्त चर्चा आगम ज्ञान रत्नाकर श्री जय मुनिजी महाराज संवेग के मूल रहस्य की जैन दृष्टि डॉ० समणी मल्लिप्रज्ञा जैनाचार्यों द्वारा संस्कृत में प्रणीत आयुर्वेद-साहित्य डॉ० राहुल कुमार सिंह जैन आचार का स्वरूप एवं लक्ष्य डॉ. अनिल कुमार सिंह CONCEPT OF SANTHARA (SAMĀDHIMARANA) IN JAINISM Dr. Samani Shashiprajna UNIQUE JAINA SITE DEOGARH AND ITS PĀRSVANATHA IMAGES: SOME FEATURES Dr. Shanti Swaroop Sinha १-१२ १३-२९ ३०-४१ ४२-५३ ५४-६० 61-82 83-90 PRAVACANASARA AND VEDANTA THOUGHT Dr. P. M. Upadhye PROBLEM OF SIMULTANEOUS OCCURRENCE OF JÑANA AND DARSANA IN JAINISM Dr. Shriprakash Pandey विद्यापीठ के प्रांगण में जैन जगत् पुस्तक समीक्षा 91-93 94-99 १००-१०२ १०२ १०३-१०४Page Navigation
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