Book Title: Sramana 2001 04 Author(s): Shivprasad Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi View full book textPage 4
________________ सम्पादकीय श्रमण- अप्रैल-सितम्बर संयुक्तांक २००१ पाठकों के समक्ष उपस्थित करते हुए हर्ष का अनुभव हो रहा है। इस अंक में भी जैनदर्शन, अहिंसा, जैन संघ, इतिहास आदि से सम्बन्धित आलेख प्रकाशित किये जा रहे हैं। भगवान् महावीर के जन्म का यह २६००वां वर्ष चल रहा है। यह आश्चर्य की बात है कि अभी तक भगवान् की जन्मभूमि कहां है, इस बात का सर्वमान्य निर्णय नहीं हो सका है। जैन समाज का एक वर्ग बिहार प्रान्त के मुंगेर जिले में स्थित लछवाड़ नामक स्थान को जन्मभूमि के रूप में मान्य करता है तो दूसरा वर्ग कुण्डलपुर नामक स्थान को जन्मभूमि के रूप में स्वीकार करता है। योरोपीय विद्वान् एवं अनेक इतिहासविद् महावीर की जन्मभूमि के रूप में मुजफ्फरपुर जिले में स्थित वैशाली को मानते हैं। प्रागैतिहासिक काल में हुए आदि तीर्थङ्कर ऋषभदेव, राम, कृष्ण आदि की जन्मभूमि के सम्बन्ध में जहाँ कोई मतभेद नहीं है वहीं ऐतिहासिक युग में हुए भगवान् महावीर की जन्मभूमि का सर्वमान्य निर्णय न हो पाना आश्चर्यजनक है। . इस अंक में हम सुप्रसिद्ध इतिहासवेत्ता स्व० आचार्य विजयेन्द्रसूरि द्वारा लिखित पुस्तिका वैशाली को अविकल रूप में प्रकाशित कर रहे हैं। इसमें आचार्यश्री ने वैशाली को भगवान् की जन्मभूमि के रूप में विभिन्न साक्ष्यों के आधार पर मान्यता प्रदान की है जबकि इसी के साथ ही प्रकाशित दूसरे आलेख में लछवाड़ को जन्मभूमि सिद्ध किया गया है। सुधी पाठकों से निवेदन है कि वे दोनों आलेखों को पढ़ कर भगवान् के सही जन्मभूमि स्थल का निर्णय करें। इस सम्बन्ध में हमें अपने पाठकों के पत्रों का इन्तजार रहेगा। इसी अंक में देवलोक और तिर्यश्च में नाग नामक एक आलेख भी प्रकाशित है जो हमें सुप्रसिद्ध विचारक एवं वयोवृद्ध विद्वान् श्री भंवरलाल जी नाहटा के सौजन्य से प्राप्त हुआ है। श्री नाहटा जी का उक्त आलेख हमें वर्षों पूर्व प्राप्त हो गया था, परन्तु उसे अभी तक हम प्रकाशित करने में सफल न हो सके थे। हमें इस बात का सन्तोष है कि अब वह आलेख प्रकाशित हो रहा है। आपको यह अंक कैसा लगा, इस सम्बन्ध में पाठकगण अपने बहुमूल्य सुझावों से हमें अवगत कराने की कृपा करें ताकि अगले अंकों में आवश्यक सुधार किया जा सके। सम्पादक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 ... 226