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प्रायश्चित्त विवरण'
३/४/४४८ १. आलोचना
२. प्रतिक्रमण
३. तदुभय
स्थानाङ्ग एवं समवायाङ्ग में पुनरावृत्ति की समस्या
(६) जीव कर्मों पर प्रतिष्ठित
६/१९
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४. विवेक
५. व्युत्सर्ग
६. तप
तृणवनस्पति विवरण
स्थानाङ्ग सूत्र ४/१/५७
(१) अग्रबीज
(२) मूलबीज
(३) पर्वबीज
(४) स्कन्धबीज
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८/२०
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७. छेद
८. मूल
५/२/१४६
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९/४२
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९. अनवस्थाप्य
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(७) अजीव जीव द्वारा
संगृहीत
(८) जीव कर्म द्वारा
संगृहीत
१०/७३
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: ३९
१०. पाराञ्चिक
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६ / १२
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