Book Title: Sramana 1996 10
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 71
________________ ६८ : श्रमण/अक्टूबर-दिसम्बर/१९९६ कल्पसूत्रआख्यान के रचनाकार भी यही आनन्दमेरुसूरि माने जाते हैं। पिप्पलगच्छीय नरशेखरसूरि ने वि०सं० १५८४/ई० सन् १५२८ में पार्श्वनाथपत्नीपद्मावतीहरण की रचना की। इसकी प्रशस्ति में उन्होंने खुद को शांति (प्रभ) सूरि का शिष्य बतलाया है : शान्तिप्रभसूरि नरशेखरसूरि [वि० सं० १५८४/ई० सन् १५२८ मों पार्श्वनाथपत्नीपद्मावतीहरण के रचनाकार] २१ श्लोकों की अज्ञातकृतक पिप्पलगच्छगुर्वावली' नामक एक रचना भी उपलब्ध हुई है। श्री भंवरलाल नाहटा ने इसे प्रकाशित किया है। इसमें उल्लिखित गुरु-परम्परा इसप्रकार शांतिसूरि विजयसिंहसूरि देवभद्रसूरि धर्मघोषसूरि शीलभद्रसूरि परिपूर्णदेवसूरि विजयसेनसूरि धर्मदेवसूरि [त्रिभवीयाशाखा के प्रवर्तक] धर्मचन्द्रसूरि धर्मतिलकसूरि धर्मसिंहसूरि धर्मप्रभसूरि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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