________________
श्रमण
जैन जगत्
'श्रमण' पाठकों की दृष्टि में पहला श्रमण का स्तर सराहनीय है। संस्था के प्रकाशनों की शृङ्खला और उनका स्तर अनुकरणीय है। कृपया इसे बनाये रखें। Indology और Jainology के क्षेत्र में आप का योगदान चिरस्मरणीय रहेगा।
प्रो० राजकुमार शर्मा
अवकाशप्राप्त अध्यक्ष प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति और पुरातत्त्व विभाग
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय
जबलपुर - मध्यप्रदेश
अंग साहित्य : अध्ययन एवं समीक्षा संगोष्ठी सम्पन्न
समता विभूति आचार्य प्रवर श्री नानालाल जी म० सा० के सुशिष्य युवाचार्य प्रवर श्री रामलाल जी०म०सा० के सानिध्य में समता शिक्षा सेवा संस्थान, देशनोक एवं आगम संस्थान, उदयपुर के अकादमीय सहयोग से निम्बाहेडा (राजस्थान) में दिनांक २४-२५ नवम्बर को 'अंग साहित्य : अध्ययन एवं समीक्षा संगोष्ठी सम्पन्न हुई। इस द्विदिवसीय संगोष्ठी का उद्घाटन युवाचार्य श्री रामलाल जी म० सा० ने किया।
दिनांक २४/११/९६ संगोष्ठी के प्रथम सत्र की सत्राध्यक्षता प्रो० प्रेमसुमन जैन, डीन, कला संकाय सुखाडिया विश्वविद्यालय, उदयपुर एवं संयोजन डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय, प्रवक्ता, पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी ने किया। प्रथम सत्र में निम्न चार पत्रों का वाचन हुआज्ञाताधर्मकथा का समीक्षात्मक अध्ययन : प्रो०प्रेमसुमन जैन, उदयपुर आचारांग का हार्द
: प्रो० सागरमल जैन, निदेशक,
पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org