Book Title: Sramana 1996 10
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 63
________________ ६० : श्रमण/अक्टूबर-दिसम्बर/१९९६ सिद्धत्थे पुण्णघोसे य महाघोसे य केवली। सच्चसेणे य अरहा आगमिस्साण होक्खई ।। सूरसेणे य अरहा महासेणे य केवली। सव्वाणंदे य अरहा देवउत्ते होक्खई ।। सुपासे सुव्वए अरहा अरहे य सुकोसले। अरहा अणंतविजए आगमिस्साण होक्खई।। विमले उत्तरे अरहा अरहा य महाबले । देवाणंदे य अरहा आगमिस्साण होक्खई।। एए वुत्ता चउव्वीसं एरवयम्मि केवली। आगमिस्साण होक्खंति धम्मतित्थस्स देसगा।। __-समवायांग, संपा० मुनि मधुकर, ६७४/८९-९५ नंदे य नंदमित्ते दीहबाहू तहा महाबाहू। अइबले महाबले बलभद्दे य सत्तमे ।। दुविठू य तिवठूय आगमिस्साण वण्हिणो। जयंते विजये भद्दे सुप्पभे य सुदंसणे।। आणदे नंदणे पउमे संकरिसणे अ अपच्छिमे। - वही ६७२।८५-८६,V आगत गाथाओं का विवरण निम्न प्रकार है(क) पुनरावृत्त गाथाओं की संख्या ५५ + ११६३ - मणिगण १ दीवसिहा २ गाहा० । ५८ + ११६५ कोवीणे आभरण गाहा० ।। ५९ + ११६६ चित्तरसेसु य इट्ठा गाहा० ।। ६१ + ११६८ - दोगाउपमुव्विद्धा गाहा० ।। ६७ + ११५८ मूल-फल कंद० गाहा ।। ६८ + ११५९ संच्छंदवण विहारी ते० गाहा।। १३४ + १०३५ - नाणारयणविचित्ता ० गाहा ।। . २७५ + १०४८ - असितसिरतो सुनयणो ० गाहा।। ३७३ + ३७७ - चुलसीती १ बावत्तरि २ गाहा० ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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