Book Title: Sramana 1996 10
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 54
________________ स्थानाङ्ग एवं समवायाङ्ग में पुनरावृत्ति की समस्या : ५१ * णवविहा, ..... बेइंदिया, (तेइंदिया, चउरिदिया, पंचिंदिया। -९/७। ४९. सारस्सयमाइच्चाणं (देवाणं) सत्तदेवा सत्तदेवसता पण्णत्ता। ७/१००। एतेसु णं अट्ठसु लोगंतियविमाणेसु अट्ठविधा लोगंतिया देवा पण्णता तं जहासारस्सतमाइच्चा, वण्ही वरुणा य गद्दतोया। तुसिता अव्वाबाहा, अग्गिच्चा चेव बोद्धव्वा ।। ८/४६। णव देवणिकाया पण्णत्ता, ...... चेव रिट्ठा य ।। ९/३४ स्थानाङ्ग। ५०. पण्णत्ते, तं जहा - पुढविकाइय संजमे (आउकाइयसंजमे, तेउकाइयसंजमे, वाउकाइयसंजमे, वणस्सइकाइयसंजमे, तसकाइयसंजमे, अजीवकाइय संजमे। --७/८२ स्थानाङ्ग। दसविधे संजमे, बेइंदियसंजमे, तेइंदियसंजमे, चउरिदियसंजमे, पंचिंदियसंजमे, अजीव कायसंजमे। -१०/८ स्थानाङ्ग। * सत्तरसविहे असंजमे, १७/११८, समवांयाग। ५१. सत्तविधे असंजमे पण्णत्ते, तं जहा - पुढविकाइयअसंजमे, आउकाइय असंजमे, तुउकाइय असंजमे, वाउकाइय असंजमे, वणस्सइकाइय असंजमे तसकाइय असंजमे, अजीवकाइय असंजमे - ७/८३। स्थानाङ्ग। दसविधे असंजमे- १०/९ स्थानाङ्ग। * सत्तरसविहे संजमे पण्णत्ते, पेहासंजमे उवेहासंजमे अवहड्डसंजमे पमज्जणासंजमे मणसंजमे कइसंजमे कायसंजमे ।। -१७/११७ समवायाङ्ग। ५२. चउव्विहा संसारसमावण्णगा जीवा पण्णत्ता, तं जहा-णेरइया, तिरिक्खजोणिया, मणुस्सा, देवा। ४/६०८1 * अहवा पंचविधा, ..... सिद्धा - ५/२०८। * सत्तविहा,...... देवीओ। * अट्ठविधा..... सिद्धा, ८/१०६। ५३. पंचविधे संवरे पण्णत्ते तं जहा - सोतिंदियसंवरे, (चक्खिंदिय संवरे, घाणिंदिय संवरे, जिभिंदियसंवरे, फासिंदिय संवरे ५/२/१३७। छव्विहे, ....... णोइंदियसंवरे, ६/१५ । * अट्ठविहे, ...... मणसंवरे वइसंवरे, कायसंवरे।-८/११। * दसविधे संवरे पण्णत्ते, ..... उवकरणसंवरे, सूची कसग्गसंवरे, १०/१०। * दसा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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