Book Title: Sramana 1996 10
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi
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स्थानाङ्ग एवं समवायाङ्ग में पुनरावृत्ति की समस्या
: ४५
* चउव्विहेकम्मे ....... पगडीकम्मे, ठितीकम्मे, ४/४/४०६ । १२. दो वट्टवेयड्डपव्वया पण्णत्ता - बहुसमतुल्लाजाव, तं जहा-गंधावाती चेव,
मालवंतपरियाए चेव। -२/२७४। * चत्तारि सद्दावती, वियडावाती, ..... ४/३०७ । १३. जम्बूद्वीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाणेि णं चुल्लहिमवंते, २/२८१, वही समाग्री
६/८६ और ६/८७ में वर्णित है। १४. महाह्रद के सम्बन्ध में जो सामग्री द्वितीय स्थान में २/२८७-२८९ में वर्णित
है वही सूचना ६वें स्थान में ८८सूत्र में उपलब्ध है। १५. दुविहे अद्धोवमिए पण्णत्ते तं जहा - पालिओवमे चेव, सागरोवमे चेव,
२/४/४०५। * अट्ठविधे, ....... ओसप्पिणी, उस्सप्पिणी, पोग्गलपरियट्टे, तीतद्धा, अणागतद्धा,
सव्वद्धा ।-८/३९। १६. दुविहे दंसणे पण्णत्ते तं जहा - सम्मदंसणे चेव, मिच्छादसणेचेव, २/७९ । * अट्ठविधे, सम्मदंसणे मिच्छादसणे, सम्मामिच्छदंसणे, चक्खुदंसणे, अचक्खुदंसणि,
ओहिदंसणे, केवलदसंणे, सुविणदंसणे।। -८/३८ । १७. तिविहा तसा पण्णत्ता, तं जहा तेउकाइया, वाउकाइया, उराला, तसा, पाणा।
–३/३२६ स्थानाङ्ग। तिविहा थावरा पत्ता, तं जहा-पुढविकाइया, आउकाइया, वणस्सइ काइया।
-३/३२७, स्थानाङ्ग। छज्जीवणिकायापण्णत्ता, तं जहा- पुढविकाइया, (आउकाइया, तेउकाइया,
वाउकाइया, वणस्सईकाइया)।-तसकाइया। ६/६ स्थानाङ्ग। १८. तिविहे पणिहाणे पण्णत्ते, तं जहा - मणपणिहाणे, वयपणिहाणे, कायपणिहाणे
३/९६, स्थानाङ्ग। * चउबिहे, ....... उवकरणपणिधाणे-४/१/१०४, स्थानाङ्ग। १९. तिविहे सुप्पणिहाणे पण्णत्ते, तं जहा मणसुप्पणिहाणे, वयसुप्पणिहाणे,
काय-सुप्पणिहाणे। -३/९७ स्थानाङ्ग । * चउविहे, ....... सुप्पणिहाणे-४/१/१०५। * संजयमणुस्साणं तिविहे सुप्पणिहाणे पण्णत्ते - तं जहा-मणसुप्पणिहाणे,
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