Book Title: Sramana 1996 10
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 47
________________ ४४ : श्रमण/अक्टूबर-दिसम्बर/१९९६ * * * ४. तिविधा लोगठिती पण्णत्ता, तं जहा - आगासपइट्ठिए वाते, वातपइट्ठिए उदही, उदही पइट्ठिया पुढवी, - ३/२/३/९, स्थानाङ्ग। चउव्विहा ...... पुढविपतिट्ठिया तसा थावरा पाणा – ४/२/२५९, स्थानाङ्ग। छव्विहा ..... अजीवा जीवपतिट्ठिता, जीवा कम्मपतिट्ठिता - ६/३६, स्थानाङ्ग। अट्ठविधा......अजीवा जीवसंगहीता, जीवाकम्मसंगहीता-८/१४, स्थानाङ्ग। तिविधे पायच्छित्ते पण्णत्ते, तं जहा-आलोयणारिहे, पडिक्कमणारिहे, तदुभयारिहे ३/४/४४८, स्थानाङ्ग। * छव्विहे, ...... विवेगारिहे, विउस्सग्गारिहे, तवारिहे। –६/१९ स्थानाङ्ग। * अट्ठविहे, ...... छेयारिहे, मूलारिहे, ८/२० स्थानाङ्ग। * णवविधे, ...... अणवठ्ठप्पारिहे। –९/४२ स्थानाङ्ग। * दसविधे, ...... पारंचियारिहे । –१०/७३ स्थानाङ्ग। ६. चउव्हिा तणवणस्सतिकाइया पण्णत्ता, तं जहा-अग्गबीया, मूलबीया, पोरबीया, खंधबीया, - ४/१/५७ स्थानाङ्ग। * पंचविहा, ...... खंधबीया, बीयरुहा। - ५/२/१४६ स्थानाङ्ग। * छव्विहा, ....... सँमुच्छिमा- ६/१२ स्थानाङ्ग। ७. णाण बोधी चेव दंसणबोधी चेव। २/४/४२० । * तिविहा ....... चरित्तबोधी- ३/२/१७६। ८. दुविहा बुद्धा पण्णत्ता - तं जहा णाणबुद्धा चेव, दंसणबुद्धाचेव–२/४/४२१। तिविहा ....... चारित्तबुद्धा। -३/२/१७७। ९. दुविहे धम्मे पण्णत्ते, तं जहा सुयधम्मे चेव, चरित्तधम्मे चेव। –२/१/१०७। * तिविहे, ...... अत्थिकायधम्मे, ३/३/४/१०। १०. दुविहे पच्चक्खाणे पण्णत्ते - मणसा वेगे पच्चक्खाति, वयसा वेगे पच्चक्खाति। -२/१/३९। * तिविहे ....... कायसा वेगे पच्चक्खाति। ३/१/२७। ११. दुविहे कम्मे पण्णत्ते, तं जहा—पदेसकम्मेचेव, अणुभावकम्मे चेव।–२/३/ २६५। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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