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शिव प्रसाद
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रत्नप्रभसूर
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कमलप्रसूरि [ वि. सं. 1372 / ई. सन् 1316 में पुण्डरीकचरित के रचनाकार ]
क्षेत्रसमासवृत्ति
यह कृति पूर्णिमागच्छीय पद्मप्रभसूरि के शिष्य देवानन्दसूरि द्वारा वि. सं. 1455 / ई. सन् 1399 में रची गयी है। कृति के अन्त में प्रशस्ति के अर्न्तगत रचनाकार ने अपनी लम्बी गुरु-परम्परा का उल्लेख किया है, जो इस प्रकार है:
चन्द्रप्रभसूर
धर्मघोषसूरि
भद्रेश्वरसूरि
मुनिप्रभसूर
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सर्वदेवसूरि
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सोमप्रभसूरि
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रत्नप्रभसूरि
I
चन्द्रसिंहसूर
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देवसिंहसूर
I
पद्मतिलकसूरि
I
श्रीतिलकसूरि
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देवचन्द्रसूरि
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