Book Title: Sramana 1992 07
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 44
________________ 1223 42 तालिका 2 सर्वाणदसूरि वि. सं. 1480 14851 गुणसागरसूरि [ वि. सं. 1483-15111 1 हेमरत्नसूर [ वि.सं. 14861 सुमतिप्रभसूर [ मुख्यपट्टधर ] समुद्रसूरि वि. सं. 1492-15121 गुणधीरसूरि [ शिष्यपट्टधर] [वि. सं. 1516 -1536] प्रतिमालेख प्रतिमालेख पूर्णिमागच्छ से सम्बद्ध अभिलेखीय साक्ष्यों से कुछ अन्य मुनिजनों के पूर्वापर सम्बन्ध भी स्थापित होते हैं। इनका विवरण इस प्रकार है : मुनिशेखरसूरि के पट्टधर साधुरत्नसूरि पुण्यरत्नसूरि [ पट्टधर 1 [वि. सं. 1512 -1534] श्रमण, जुलाई-सितम्बर, १८८३ पूर्णिमागच्छीय साधुरत्नसूरि द्वारा प्रतिष्ठापित 28 जिन प्रतिमायें प्राप्त हुई हैं। इन पर वि.सं. 1485 से 1527 तक के लेख उत्कीर्ण हैं। इनका विवरण इस प्रकार है : वि.सं. 1485 वि.सं. 1485 वि. सं. 1485 वि. सं. 1487 वि.सं. 1487 वैशाख सुदि 6 रविवार ज्येष्ठ वदि 5 रविवार ज्येष्ठ वदि 11 शनिवार कार्तिक वदि 5 गुरुवार माघ सुदि 5 गुरुवार वैशाख सुदि वि. सं. 1489 फाल्गुन सुदि 3 वि.सं. 1502 पौष वदि 10 बुधवार वि.सं. 1503 ज्येष्ठ सुदि 7 सोमवार वि.सं. 1506 माघ सुदि 13 रविवार वि. सं. 1489 Jain Education International जै. धा. प्र. ले. बी. जै. ले. सं. वही, जै. ले.सं. भाग 3 श.गि.द., प्रा. ले.सं., जै. ले.सं., भाग 3 बी. जै. ले.सं., प्रा. ले.सं., जै. धा. प्र.ले.सं., For Private & Personal Use Only लेखांक 77 लेखांक 728 लेखांक 1598 लेखांक 2300 लेखांक 467 लेखांक 144 2305 लेखांक लेखांक 861 लेखांक 196 लेखांक 1130 www.jainelibrary.org

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