Book Title: Sramana 1992 07
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 50
________________ Jain Education International रत्नशेखरसारे देवचन्दसूरि रत्नसागरसूरि पद्मप्रभसूरि सूदाणदसरि [वि.सं.14801485 प्रतिमालेख For Private & Personal Use Only गुणसागरसरि वि.स.1483 1511 प्रतिमालेख] देवानन्दसूरि वि.सं.1455 क्षेत्रसमासवृत्ति के कर्ता। गुणसमुद्रसूरि - अभयच सत्यरजगणि व.स.1514 प्रतिमालख गुणधीरसरि वि.स.1516-15361 पायरत्नसार व.स.1512-1536 प्रतिमालखा रामचन्द्रसरि । वि.सं.1490 विक्रमवारत के रचनाकार श्रीपालचरिता सुमति, नसूरि उदयसमदसार [वि.स.1580 के रचनाकार www.jainelibrary.org

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