________________
प्रसाद
हेमतिलकसूरि
हेमरत्नसूरि
हेमप्रभसूरि
रत्नशेखरसूरि
रत्नसागरसूरि
1-1-1-1-1-1-1-1
गुणसागरसूरि
गुणसमुद्रसूरि
सुमतिप्रभसूरि
पुण्यरत्नसूरि सुमतिरत्नसूरि
उदयसमुद्रसूरि । वि.सं. 1580/ई. सन् 1524 में
पूर्णिमागच्छगुर्वावली के रचनाकार] पूर्णिमागच्छीय रचनाकारों की पूर्वोक्त कृतियों की प्रशस्तियों से उपलब्ध छोटी-बड़ी पुर्वावलियों के आधार पर इस गच्छ के मुनिजनों की गुरु-परम्परा की एक विस्तृत तालिका की संरचना की जा सकती है, जो इस प्रकार है : ष्टव्य - तालिका संख्या-1.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org