Book Title: Sramana 1992 07
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 34
________________ श्रमण, जुलाई-सितम्बर, श्रीतिलकसूरि । वि.सं. 1261/ई. सन् 1205 में प्रत्येकबुद्धचरित के रचनाकार प्रत्येकबुद्धचरित अभी अप्रकाशित है। शान्तिनाथचरित यह कृति पूर्णिमागच्छ के अजितप्रभसूरि द्वारा वि.सं. 1307 में रची गयी है। जैसलमेर और पाटण के ग्रन्थ भंडारों में इसकी प्रतियां संरक्षित हैं। कृति के अन्त में ग्रन्थकार ने अपनी गुरु-परम्परा का उल्लेख किया है, जो इस प्रकार है : चन्द्रप्रभसूरि देवसूरि तिलकप्रभसूरि वीरप्रभसूरि अजितप्रभसूरि । वि.सं. 1307/ई. सन् 1251 में शांतिनाथचरित के रचनाकार पुण्डरीकचरित पूर्णिमापक्षीय चन्द्रप्रभसूरि की परम्परा में हुए रत्नप्रभसूरि के शिष्य कमलप्रभसूरि ने वि.सं. 1372/1316 में उक्त कृति की रचना की। कृति के अन्त में प्रशस्ति के अन्र्तगत उन्होंने अपनी गुरु-परम्परा का इस प्रकार विवरण दिया है : चन्द्रप्रभसूरि चक्रेश्वरसूरि त्रिदशप्रभसूरि धर्मप्रभसूरि अभयप्रभसूरि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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