Book Title: Siddhantasara
Author(s): Jinchandra Acharya, Vinod Jain, Anil Jain
Publisher: Digambar Sahitya Prakashan

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Page 6
________________ पुरोवाक् श्री ब्रह्मचारी विनोद कुमार जी भिण्ड और ब्र. अनिल कुमार जी ने श्रीवर्णी दिगम्बर जैन गुरुकुल में अध्ययन कर, अपना उपयोग जिनागम के अनुवाद तथा सम्पादन की ओर अग्रसर किया हैफलस्वरूप सिद्धांतसार" का अनुवाद पाठकों के समक्ष है इसमें इन्होंने मूलानुगामी अनुवाद के साथ कुछ स्थलों पर समीक्षात्मक विचार प्रकट किये हैं- मेरा हृदय प्रसन्नता से भर जाता है जब गुरुकुल के स्नातक साहित्यिक एवं सामाजिक कार्यों में प्रवृत्त होते हैं। गुरुकुल के ब्रह्मचारी अपने धार्मिक प्रवचनों के माध्यम से भारत के प्रायः सभी विशिष्ट स्थानों पर प्रवचन के लिए आमंत्रित होते हैं। ये हमेशा अपने कार्यों में अग्रसर होते रहें यह कामना विनीत प. पन्नालाल जैन साहित्याचार्य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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