Book Title: Siddhantasara
Author(s): Jinchandra Acharya, Vinod Jain, Anil Jain
Publisher: Digambar Sahitya Prakashan

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Page 56
________________ (४१) योगा भवन्ति। मिस्से पमत्तए जोगा दस इगिदस- अत्र यथासंख्यत्वेन भाव्यं, मिस्से - तृतीये मिश्रगुणस्थाने दश योगा भवन्ति। ते के? अथै मनोवचनयोगा औदारिककायवैक्रियिकाययोगौ द्वौ एवं दश। पमत्तए जोगा इगिदस षष्ठे प्रमत्तगुणस्थाने योगा एकादश भवन्ति। ते के? अथै मनोवचनयोगा औदारिककाययोग आहारककाययोगस्तन्मिश्रकाययोगश्चेति त्रय एव एकादश योगाः। सत्तसुणव सप्तसु गुणस्थानेषु पंचमे देशविरते सप्तमेऽप्रमत्ते अष्टमेऽपूर्वकरणे नवमेऽनिवृत्तिकरणे दशमे सूक्ष्मसाम्पराये एकादशे उपशान्तकषाये द्वादशे क्षीणकषाये एवं एतेषु कथितेषु सप्तगुणस्थानेषु नव योगाः स्युः। ते के? अयै मनोवचनयोगा औदारिककाययोगश्चैक एवं नव। सत्त सयोगे- सयोगकेवलिनि सप्त योगा भवन्ति। ते के? सत्यमनोयोगोऽनुभयमनोयोगः सत्यवचनयोगोऽनुभयवचनयोग औदारिककाययोगस्तन्मिश्रकाययोगः कार्मणकाययोग इति सप्त योगाः। अयोगिनि चतुर्दशगुणस्थाने शून्यं योगाभावः॥४६॥ अब चौदह गुणस्थानों में यथा संभव योग कहते हैं अन्वयार्थ ४६- (मिच्छदुगे) मिथ्यात्व, सासादन और (अयदे) असंयत सम्यग्दृष्टि गुणस्थान में (तेरह) तेरह योग (मिस्से) मिश्र गुणस्थान में (दस जोगा) दस योग (पमत्तए) प्रमत्त विरत गुणस्थान में (इगिदस) ग्यारह योग (सत्तसु) सात गुणस्थानों में अर्थात् पांचवें, सातवें, आठवें नौवें, दसवें, ग्यारहवें और बारहवें इन सात गुणस्थानों में (नव) नौ योग, (सयोगे) सयोग केवली गुणस्थान में (सत्त) सात योग होते है। (अयोगी) अयोग केवली गुणस्थान योग से रहित होता है। भावार्थ- मिथ्यात्व सासादन और असंयत सम्यग्दृष्टि गुणस्थान में आहारक काययोग एवं आहारकमिश्र काययोग को छोड़कर शेष तेरह योग होते हैं। मिश्र गुणस्थान में औदारिक मिश्र, वैक्रियक मिश्र, आहारक काययोग, आहारक मिश्र और कार्मण काययोग को छोड़कर शेष दस योग होते हैं। प्रमत्त गुणस्थान में चार मनोयोग, चार वचन योग, आहारक काययोग, आहारक मिश्र काययोग और औदरिक काययोग ये ग्यारह योग होते हैं। पांचवें गुण स्थान तथा सातवें से बारहवें गुणस्थान तक चार मनोयोग चार वचन योग एवं औदारिक काय योग इस प्रकार नौ योग होते हैं। सयोग केवली गुणस्थान में सत्यमनोयोग, अनुभयमनोयोग, सत्यवचन योग, अनुभय वचन योग, औदारिक काययोग, औदारिक मिश्र काय योग और कार्मण काय योग ये सात योग होते हैं। अयोग केवली गुणस्थान में योगों का अभाव है। इति गुणस्थानेषु योगा निरूपिताः। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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