Book Title: Siddhantasara
Author(s): Jinchandra Acharya, Vinod Jain, Anil Jain
Publisher: Digambar Sahitya Prakashan

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Page 57
________________ (४२) इस प्रकार गुणस्थानों में योग का निरूपण किया। 555 अथ चतुर्दशगुणस्थानेषु द्वादशोपयोगा वर्ण्यन्तेःपढमदुगे पण पणयं मिस्सा मिस्से तदो दुगे छक्कं । सत्तुवओगा सत्तसु दो जोगि अजोगिगुणठाणे ।। ४७ ।। प्रथमद्विके पंच पंचकं मिश्रा मिश्र ततो द्विके षट्कं । सप्तोपयोगाः सप्तसु द्वौ योग्ययोगिगुणस्थाने ॥ पढमदुगे - प्रथमद्विके मिथ्यात्वसासादनगुणस्थाने पणपणयं - पंच पंच उपयोगा भवन्ति । ते के? कुमतिकुश्रुतविभगज्ञानोपयोगास्त्रयः चक्षुरचक्षुर्दर्शनोपयागौ द्वौ एवं पंच । मिस्सा मिस्से तदो दुगे छक्कं मिश्रगुणस्थाने तृतीये, तदो- इति, ततो मिश्रगुणस्थानात्, दुगे- इति, अविरते चतुर्थगुणस्थाने देशविरतगुणस्थाने पंचमे छक्कंषडुपयोगा भवन्ति । के ते ? मतिश्रुतावधिज्ञानोपयोगास्त्रयः चक्षुरचक्षुरवधिदर्श नोपयोगास्त्रयः । अत्र एतावान् विशेषः ये मिश्रगुणस्थानगा उपयोगास्ते मिश्रा भवन्ति । सत्तुवजोगा सत्तसु - सप्तसु गुणस्थानानेषु प्रमत्ताप्रमत्तापूर्वकरणानिवृत्तिकरण- सूक्ष्मसाम्पराययथाख्यातोपशान्तकषायक्षीण कषायाभिधानेषु उपयोगाः सप्त भवन्ति । ते के? सुमतिश्रुतावधिमनः पर्ययज्ञानोपयोगाश्चत्वारः चक्षुरचक्षुरवधिदर्शनोपयोगास्त्रय एते सप्त स्युः । दो जोगिअजोगिगुणठाणे - सयोगिनि त्रयोदशगुणस्थाने योगिनि च द्वौ उपयोगौ स्तः । तौ कौ ? केवलज्ञानदर्शनोपयोगौ द्वौ ॥ ४७ ॥ अब चौदह गुणस्थानों में बारह उपयोग कहते हैं - गाथार्थ ४७ - ( पढमदुगे) मिथ्यात्व और सासादन गुणस्थान में (पण ) पाँच उपयोग (मिस्से) मिश्र गुणस्थान में ( छक्कं ) छह उपयोग ( मिस्सा) मिश्र रूप (दुगे) अविरत एवं देशविरत गुणस्थान में ( छक्क ) छह उपयोग ( जोगि अजोगिगुणठाणे) सयोग केवली तथा अयोग केवली गुणस्थान में (दो) दो उपयोग होते हैं। Jain Education International भावार्थ- मिथ्यात्व और सासादन गुणस्थान में तीन कुज्ञानोपयोग, चक्षु, अचक्षुदर्शनोपयोग ये पांच उपयोग होते हैं। मिश्र गुणस्थान में तीन कुज्ञान तीन सम्यग्ज्ञान दोनों मिले हुए मिश्र रूप तीन ज्ञानोपयोग तथा चक्षु अचक्षु अवधि दर्शनोपयोग इस प्रकार ये छह उपयोग होते हैं चौथे, पांचवे गुणस्थान में मति For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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