Book Title: Siddhantasara
Author(s): Jinchandra Acharya, Vinod Jain, Anil Jain
Publisher: Digambar Sahitya Prakashan

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Page 46
________________ (३१) तीन ज्ञानोपयोग इस प्रकार छह उपयोग होते हैं । 'कम्मे ओराल मिस्सेय " इस पद का अर्थ आगे की गाथा के साथ जोड़ना चाहिए । भावार्थ- वैक्रियक मिश्र काय योग में चक्षुदर्शनोपयोग, केवलदर्शनोपयोग, विभंगावधिज्ञानोपयोग मन:पर्यय ज्ञानोपयोग और केवल ज्ञानोपयोग को छोड़कर शेष सात उपयोग होते हैं । आहारक काययोग एवं आहारक- मिश्रकाय योग में मतिज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधिज्ञानोपयोग, चक्षु अचक्षु और अवधि दर्शनोपयोग इस प्रकार छह उपयोग होते हैं । "कम्मे ओराल मिस्सेय " इस पद का सम्बन्ध आगे की गाथा से है। णव वधूसंढे | वेभंगचक्खुदंसणमणपज्जयहीण मणकेवलदुगहीणा णव दस पुंसे कसाएसु ।। ३६ ।। विभंगचक्षुर्दर्शनमनः पर्ययहीना नव वधूषंढयोः । मनः केवलद्विकहीना नव दश पुंसि कषायेषु ।। कम्मे ओरालमिस्से य- कार्मणकाययोगे औदारिकमिश्रकाययोगे च, वेभंगचक्खुदंसणमणपज्जयहीण णव- विभंगज्ञानचक्षुर्दर्शनमनः पर्ययज्ञानरहिता अन्ये नवोपयोगाः सन्ति । इति योगमार्गणा । वधूसंढे स्त्रीवेदे नपुंसकवेदे च, मणकेवलदुगहीणा णव - मनः पर्ययकेवलज्ञानकेवलदर्शनैरोभिस्त्रिभिर्हीींना इतरे नवोपयोगाः स्यु । दस पुंसे - इति, पुंवेदे केवलज्ञानकेवलदर्शनाभ्यां विना अन्ये दश उपयोगा भवन्ति । इति वेदमार्गणा । कसासु- क्रोधमानमायालोभेषु केवलज्ञानदर्शनवर्जा दश एव भवन्ति । इति कषायमार्गणा ।। ३६ ।। गाथार्थ ३६ (कम्मे ओराल मिस्से) कार्मणकाययोग और औदारिक मिश्र काय योग में (वेभंगचक्खुदंसणमणपज्जयहीण ) विभंगावधि ज्ञानोपयोग, चक्षुदर्शनोपयोग तथा मन:पर्ययज्ञानोपयोग से रहित (णव) नौ उपयोग होते है। ( वधूसंढे ) स्त्रीवेद और नपुंसक वेद में ( मणकेवलदुगहीण ) मनः पर्ययज्ञानोपयोग, केवलज्ञानोपयोग और केवल दर्शनोपयोग से रहित नौ उपयोग होते हैं (पुंसे) पुरुष वेद में तथा (कसासु) कषायों में (दस) उपयोग होते हैं । भावार्थ- कार्मण काय योग और औदारिक मिश्र काय योग में चक्षुदर्शन विभंगावधि तथा मनःपर्यय ज्ञानोपयोग को छोड़कर नौ उपयोग होते हैं, वे इस प्रकार से हैं- कुमति, कुश्रुत ज्ञानोपयोग, मति, श्रुत, अवधि और केवल ज्ञानोपयोग । वेद मार्गणा में स्त्रीवेद और नपुंसक वेद में मनः पर्यय ज्ञानोपयोग, केवल ज्ञानोपयोग और केवलदर्शनोपयोग को छोड़कर नौ उपयोग होते हैं वे इस प्रकार से हैं तीन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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