Book Title: Siddhantasara
Author(s): Jinchandra Acharya, Vinod Jain, Anil Jain
Publisher: Digambar Sahitya Prakashan

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Page 42
________________ (२७) इति, उपशमसम्यक्त्वे सासादनसम्यक्त्वे मिथ्यात्वसम्यक्त्वे आहारकाहारकमिश्रकाययोगद्वयं विना, तेरसत्रयोदश योगा भवन्ति। अतिमिस्साहारकम्मइयाइतिपदस्य उत्तरगाथायां सम्बन्धः।। ३०।। (३०) अन्वयार्थ- (अभव्वे) अभव्य जीव में आहारक द्विक को छोड़कर (तिदसा) तेरह योग होते हैं। (खाइय जुम्मे) क्षायिक युग्म अर्थात् क्षायिक और वेदक सम्यकत्व में (सव्वे) सभी पन्द्रह योग होते हैं। (उवसमे सम्मे सासणमिच्छे) उपशम सम्यकत्व में, सासादन सम्यकत्व में और मिथ्यात्व में, आहारक काय योग, और आहारक मिश्र काययोग के बिना (तेरस) तेरह योग होते हैं। (अतिमिस्साहारकम्मइया) इस पद का सम्बन्ध आगे की गाथा से है। मिस्से दस सण्णीए सवे चउरो असण्णिए जोगा। गयकम्मइयाहारे अणाहारे कम्मणो इक्को।। ३१॥ मिश्रे दश संज्ञिनि सर्वे चत्वारोऽसंज्ञिनि योगाः। गतकार्मणा आहारके अनाहारके कार्मण एकः।। अतिमिस्साहारकम्मइया मिस्से दस इति क्रियाकारकसम्बन्धः। मिस्से- इति, मिश्रे सम्यक्त्वे दशयोगा भवन्ति। अतिमिस्सेति- त्रिमिश्राश्च औदारिकमिश्र-- वैक्रियिकमिश्राहारकमिश्रा आहारकश्च कार्मणकश्च त्रिमिश्राहारकार्मणका न विद्यन्ते येषु योगेषु ते तथोक्ताः कोऽर्थ ? मिश्रसम्यक्त्वे एते पंचवर्जा अन्ये अष्टौ मनोवचनयोगा औदारिककाययोग-वैक्रियिककाययोगौ द्वौ एवं देश योगा भवन्तीत्यर्थः इति सम्यक्त्व मार्गणा। सण्णीए सव्वे - संज्ञिजीवे सर्वे योगा भवन्ति। चउरो असण्णिए जोगाअसंज्ञि जीवे औदारिककौदारिकमिश्रकार्मणकाययोगानुभयभाषा एते चत्वारो योगाः स्युःइति संज्ञिमार्गणा। गयकम्मइयाहारे- आहारके जीवे गतकार्मणाः कार्मणकाययोगवर्जा अन्ये चतुर्दशयोगाः सन्तिा अणाहारे कम्मणो इक्को- अनाहारके जीवे कार्मणकाख्य एको योगः । कदा यदा जीवो विग्रहगतिं करोति तदा संभवतीत्यर्थः। इति आहारकमार्गणा।। ३१ ।। (३१) गाथार्थ- (अति मिस्साहारकम्मइया) त्रिमिश्र-आहारक और कार्मण काययोग इन पाँच योगों से रहित, (मिस्से) मिश्र सम्यकत्व में (दस) दस योग होते हैं। (सण्णीए सव्वे) संज्ञी जीवों में सभी योग होते हैं। (असण्णिए) असंज्ञी जीवों में (चउरो) चार (जोगा) योग होते हैं। (गयकम्मइयाहारे) आहारक जीव में कार्मण काययोग को छोड़कर चौदह योग होते हैं। (अणाहारे) अनाहारक में एक (कम्मणो) कार्मण काय योग होता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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