Book Title: Shraddhdin Krutya Sutram
Author(s): Rajshekharsuri
Publisher: Arihant Aradhak Trust
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
सूत्रम्
श्राद्धदिन० ।।१३७॥
Pomoooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooyees
विगईणं परिमाणं, दवाणं तह सचित्तइयराणं ।
सयणीयजाणवाहण, एवमाई विभासा उ ॥२६३।। व्याख्या-'अचित्तं दंतवणं०' 'अब्मंगे उव्वलणे०' 'विगईणं परिमाणं० । उत्तानार्था, नवरं विभाषाविस्तरेण व्याख्या, सा पुनः स्वयमूह्या ॥२६१-२६२-२६३।। उपसंहारपुरस्सरमुपदेशमाह
एवं उवभोगवयं, संखेवेणं तु साहियं तुम्ह ।
ता कुणह इत्थ माणं, जइ इच्छह सासयं ठाणं ।।२६४|| व्याख्या-'एवं उवभोगवयं संखेवेणं' । सुगमा ।।२६४|| इदानीमनर्थदण्डः । स च चतुर्धा | प्रमादाचरितपापध्यानहिंस्रप्रदान-पापोपदेशभेदात् । तत्र जलक्रीडान्दोलनकुर्कटादियोधनभाजनानाच्छादनबूतरमणविकथाकरणाद्यनेकविधः प्रमादः । तत्र जलक्रीडायामप्कायपूतरकादिवधः । अन्दोलने तु पवनवधः आत्मोपघातादयश्च । जन्तुयोधने तदुपघातस्त्रसादिवधश्च । भाजनानाच्छादने तु मक्षिकामूषकादिपातः स्यात् । द्यूतं च बहुदोषहेतुः । यथा
'कुलकलंकणु सच्चपडिवक्खु, गुरु-लज्जासोयहरु धम्मविग्घु । अत्थह पणासणु जं दाणभोगिरहिउ, पुत्तदारपियमायमोसणु । जहिंन गणिज्जइ देवगुरु, जहिं नवि कज्ज अकज्ज । तणु संतावणु कुगइ पहु, तहिं को जूइ रमिज्ज? ||१|| विकथास्तु सूत्रेणैव दर्शयन्नाह
Koncoco.co....................................
॥१३७||
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218