Book Title: Shraddhdin Krutya Sutram
Author(s): Rajshekharsuri
Publisher: Arihant Aradhak Trust
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सूत्रम्
श्राद्धदिन० ॥१६॥
आहारं उवहिं देहं, पुलिं, दुच्चिन्नयाणि य । अपच्छिमंमि ऊसासे, सर्ल तिविहेण वोसिरे ॥२९८|| व्याख्या-१आहारं उ०' स्पष्टा ।।२९८|| क्षामणानन्तरं जिनसमक्षमालोचयन् द्विसूत्रीमाह
जे मे जाणंति जिणा, अवराहा जेस जेस ठाणेस । ते हं आलोए य, उवडिओ सव्वभावेणं ।।२९९|| छउमत्थो मूढमणो, कित्तियमित्तं च संभरइ जीवो ।
जं च न संभरामि अहं, मिच्छा मि दुक्कडं तस्स ||३००।। व्याख्या-'जे मे जाणंति०' 'छउमत्थो मूढ० ॥२९९।।३००|| सम्प्रत्यङ्गीकृतभोगोपभोगादि मुक्त्वा नम| स्कारावधिं यावत्सर्वपापरिहारार्थमाह
पाणिवहमुसादत्तं, मेहुणदिणलाभऽणत्थदंडं च | अंगीकयं च मुत्तुं, सव्वं उवभोगपरिभोगं ||३०१।। गिहमज्झं मुत्तूणं, दिसिगमणं मुत्तु मसगजूयाई । वयकाएहिं न करे, न कारवे गंठिसहिएणं ॥३०२।।
||१६०॥
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