Book Title: Shraddhdin Krutya Sutram
Author(s): Rajshekharsuri
Publisher: Arihant Aradhak Trust

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Page 185
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सूत्रम् श्राद्धदिन० ||१६४|| -- - व्याख्या-'एयारिस पि० गतार्था ॥३०८।। कदा पुनरेवं करिष्ये ? तथा चाह निम्ममत्तसुखग्गेणं, छिंदिउं मोहपासए । खंतो दंतो जियाणंगो, मुणिमग्गं पवज्जिमो ||३०९।। व्याख्या-'निम्ममत्त०' उत्तानार्था ||३०९।। द्वारम् २४ ।। विशेषेण ब्रह्मव्रतस्थैर्यार्थं पञ्चविंशं स्त्रीकडेवरस्वरूपचिन्तनद्वारं व्याख्यानयन्नाह इत्थी नाम मणुस्साणं, सग्गनिव्वाणअग्गला । सबदुक्खसमूहस्स, एसा खाणी अणिट्ठिया ||३१०|| वाहीणं च महावाही, विसाणं च महाविसं । अविवेगनरनाहस्स, रायहाणी वियाहिया ||३११।। अणत्थाणं महाठाणं, मूलं दुच्चरियाण उ । आवासो असुइत्तस्स, जओ एवं वियाहियं ॥३१२।। व्याख्या-'इत्थी नाम०' | 'वाहीणं च महा० । 'अणत्थाणं० । त्रयोऽपि सुगमाः । ३१०-३११-३१२।। शरीरस्वरूपमेवाह adbodbodbodbodbodbochodboobodboobboooooooooooooooooooo0000000000000000 AJA ॥१६४|| For Private and Personal Use Only

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