Book Title: Shraddhdin Krutya Sutram
Author(s): Rajshekharsuri
Publisher: Arihant Aradhak Trust
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श्राद्धदिन० ॥१३९॥
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तथा भक्तमोदनादि तस्य कथा भक्तकथा । सा चतुर्धा आबाधादिभेदात्तथाचार्षम्-'मत्तकहावि चउद्धा, आवाहकहा तहेव निव्वाहे । आरंभकहा य तहा, निट्ठाणकहा चउत्थी उ ||१|| आवाहत्ति यदव्वा, सागघयाई य इत्थ उवउत्ता । दसपंचरूव इत्तिय, वंजणभेयाइ निव्वाहे ॥२॥ आरंभ छागतित्तिरमहिसारण्णाइ वहियए इत्थं । रूवगसयपंचसया निट्ठाणं जा सयसहस्सं ||३|| तथा देशो राष्ट्रं, तस्य कथा देशकथा । सापि च्छन्दो- विधि-विकल्प- नेपथ्यभेदाच्चतुर्धा । यदार्षम्छंदो गंमागमं जह, माउलधीय गंम लाडाणं । अन्नेसि सा भयणी, गोल्लाईणं अगम्माओ ||१|| भोयणविरमणिभूमिगाइं, जं वावि भोज्जए पढमं । वीवाह विरयणावि य, चउरंतगमाइया होई ||२|| एमाई देसविही, देसवियप्पं तु सासनिष्पत्ती । जह वप्प कूवसारणि, नदिरिल्लगसालिरोप्पाई ||३|| घरदेउले विगप्पा तहय, निवेसा य गामनयराई । एमाइ विगप्प कहा, नेवत्थकहा इमा होइ ||४|| इत्थी पुरिसाण, साहाविय होइ तहय वेउव्वी । मोलिगयालगमाई देसकहा एस भणियव्वा ||५|| ' इति । तथा राज्ञः कथा राजकथा, इयमपि नरेन्द्रनिर्गमादिभेदेन चतुधैव । यदागमः'रायकह चउहनिग्गम, अइगमणं बले य कोसकोट्ठारे । निज्जाइ अज्जराया, एरिसइड्ढी विभूई ||१|| उदयायलंमि सुरुव्व, हत्थिक्खंधमि सोहए एसो । एमेवय अड्याई, इंदो अमराउरिं चेव ॥२॥ एवइ य आसहत्थी - रहपाइक्काण बलवइ कहेसा । एवइ कोडी कोसो, कोट्ठागारा य एवइय ||३||
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सूत्रम्
॥१३९॥

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