Book Title: Sanch Ko Aanch Nahi
Author(s): Bhushan Shah
Publisher: Chandroday Parivar

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Page 13
________________ G007 “सांच को आंच नहीं” (09602 लाभ अवश्य हुआ है कि कुछ कट्टर विरोधी साधुओं.... महासतिओं को छोड़कर अधिकांश वर्ग ने मूर्तिपूजा का विरोध करना छोड़ दिया है । अनेक स्थानकवासी सद्गृहस्थों ने मंदिर में दर्शन करना प्रारम्भ भी किया है, हालांकि वे लोग गांव में पूजा-भक्ति करने में कुछ हिचकाते जरूर हैं किन्तु तीर्थों मे जाकर पूजा-भक्ति कर लेते हैं। मूर्तिपूजा में हिंसा है सावध है इत्यादि जो पहले घोषणा की जाती थी, वह भी मन्द होती जा रही हैं, क्योंकि मूर्तिपूजा में कोई हिंसादि दोष नहीं बल्कि अगणित लाभ ही है, इस तथ्य को शास्त्र, तर्क और अनुभव का पुष्ट समर्थन है। समय समय पर मूर्तिपूजा के समर्थन में ऐसे लेख और निबंध लिखे ही जा रहे है और उसी का यह सत्प्रभाव है कि हजारों लोग पुनः मूर्तिपूजा को आदर से देखने लगे हैं । इस पुस्तक से भी यही लाभ सम्पन्न होगा यह आशा की जाती है । पुस्तक के लेखक का यह शुभ प्रयत्न निःसन्देह अभिनन्दन के योग्य है। (साभार - कल्पित ईतिहास से सावधान पुस्तक)

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