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ईश्वर की.) दो दुइ मानोगे तो ईश्वर में दो दोष प्राप्त होंगे.
पारियाः-कौन से?
जैनी:-एक तो प्रथम अल्पता और मितीय अन्यायकारिता.'
आरियाः-किस प्रकार से ?
जैनी:-इस को हम विस्तारपूर्वक आगे कहेंगे. अब तो तुम यह बताओ कि तुम ईश्वर में कौन से गुण मानते हो ?'
__ आरियाः-गुण तो बहुत से हैं; परन्तु संक्षेप से चार गुण विशेष प्रधान (बमे) हैं.
जैनी:-कौन से ? . ... ... श्रारियाः-१. सर्वका; २.सर्व शक्तिमान; ३. न्यायकारी और ४. दयाबु., ,
जैनी:-ईश्वर को कर्ता मानने से ईश्वर में इन चारों ही गुणों का नाश पाया जावेगा,
प्रारिया:-किस प्रकार से ? . . .