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२४३ अपनी माति पर निश्चय होगा; क्यों कि वहां दया, दमा, आदि क्रिया अर्थात् आर्य धर्म का सम्बंध चल रहा होगा तो बकरे का क्या काम?क्यों कि"अहिंसापरमोधर्मः" इस प्रकार के मंत्रों को धक्का लगेगा. वहां तो अज मेध शब्द का अर्थ पुराणे जौं का ही होना चाहिये, यदि वहां हिंसा आदि क्रिया अर्थात् अनार्य (बूचमखाने) का सम्बन्ध चल रहा दोगा तो अज शब्द का अर्थ बकरे का ही सम्नव होगा, अथवा पाठक की मति हिंसा में तया विषयानन्द में प्रवल होगी तो अज शब्द का अर्थ बकरा है, ऐसे ही प्रमाण करेगा, और यदि पाठक की मति दया में तथा आत्मानंद में प्रवल होगी तो अज नाम जों का ही प्रमाण करेगा, क्यों कि 'मतेतिमत' हे बुद्धिमानों! सुसंग के और सत्य शास्त्र के आधार से मतिको निर्मल करना चाहिये. ऐसे ही गोमेध सो गो नाम
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