Book Title: Samyaktva Suryodaya Jain arthat Mithyatva Timir Nashak
Author(s): Parvati Sati
Publisher: Kruparam Kotumal

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Page 260
________________ • शराब का न पीना, शिकार (जीव घात) का न करना । । इतना ही एही बटिक मांस खाने, शराब पीने वाले शिकार ( जीव घात) करने वाले को जाति में जी.. न रखना अर्थात् उस्के सगाई (कन्यादान) नही करना उसके साथ खानपानादि व्यवहार नहीं करना । खोटा वाणिज्य न करना, अर्थात् हाम, चाम, जहर, .. शस्त्र आदिक का न वेचना और कसाई आदिक हिंसकों को व्याज पै दाम तक का नी न देना क्यूं कि उनकी दुष्ट कमाई का धन लेना अधर्म हैं ॥ .. ए-परोपकार । ए-परोपकार सत्य विद्या ( शास्त्र विद्या) सी- । खने सिखाने पूर्वोक्त जिनेन्द्र देव नाषित सत्य शास्त्रोक्त जम चेतन के विचार से बुद्धिको निर्मल करने में जीव रक्षा सत्य नाषणादि धर्म में उद्यम करने को कहते हैं अर्थात् यथा. . दोहा-गुणवंतोकी वंदना, अवगुण देख मध्यस्थ। दुखी देख, करुणा करे मैत्रीनाव समस्त ॥१॥ .' अर्थ-पूर्वोक्त गुणोंवाले साधु वा श्रावकों को नमस्कार करे और गुण रहित से मध्यस्थ नाव रहे अर्थात् जसपर राग द्वेष न करे ५ दुखियों को देख 2m

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