Book Title: Samyaktva Suryodaya Jain arthat Mithyatva Timir Nashak
Author(s): Parvati Sati
Publisher: Kruparam Kotumal

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Page 244
________________ . Maina 1 - २६ उपकर्म आदि क्रिया नहीं कर सकता है. जैसे मनुष्य को सीवना तो आता है परन्तु सूई । बिन नहीं सी सकता, इत्यादि. और जी बहुतसे दृष्टान्त हैं. (१७) नास्तिकः-यद इन्ज्यि शरीर पांच तत्व से होते हैं.-(१) पृथिवी, (२) जल, (३) अग्नि, (४) वायु, (५) आकाश, इन तत्वों ही के मिलने से झान हो जाता है वा और कोई जीव होता है ? जैनी:-देखो, इन अंधमति नास्तिकों के आगे सत्य उपदेश करना कुक्कुहू कुंवत् है. अरे नाई ! यह पूर्वोक्त पांच तत्व तो जड हैं. इन जमों के मिलाप से जम गुण तो. उत्पन्न हो जाता है. परन्तु जमों में चेतन गुण अन हुआ कहांसे आवे ? जैसे हल्दी और नील के मिलाप से हरा रंग हो जाता हैं, जिस को

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