Book Title: Samyaktva Suryodaya Jain arthat Mithyatva Timir Nashak
Author(s): Parvati Sati
Publisher: Kruparam Kotumal

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Page 243
________________ (१६) नास्तिकः-यह तो आपने सत्य कहा, परन्तु यह बता दीजिये कि ना याद रहने का कारण क्या है ? जैनीः-अरे नाई! यह जीव चेतन कर्मों से पूर्वोक्त समवाय सम्बन्ध है, तां ते न जीवों की चेतनता, अर्थात् ज्ञान शक्तियें सूक्ष्म रूप ज्ञान, आवरण आदि कर्मानुबंध दो रही हैं, बम के बीज की न्यांई. जैसे बम के बीज में बम वाली सर्व शक्तिये सूक्ष्म दो कर रही हुई हैं, और निमित्तों के मिलने से उसी बीजमें से किसी काल में अङ्कुर फूट कर माली, पत्ते आदी होते हुए संपूर्ण बम प्रकट हो जाता है; ऐसे ही इन जीवों को इन्स्यि और मन आदि प्राणों के निमित्तों से मति, सुरत,आदि ज्ञान प्रगट होते हैं. जब तक यद जीव कर्मों के बंधन सहित है, तब तक विना शख्यि आदिक औजारों के कोई ज्ञान -

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