Book Title: Samyaktva Suryodaya Jain arthat Mithyatva Timir Nashak
Author(s): Parvati Sati
Publisher: Kruparam Kotumal

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Page 241
________________ २२३ जैनीः-चेतन. नास्तिकः-यदि जीव चेतन है तो जीव को परलोक का ज्ञान अर्थात् स्मरण क्यों नहीं होता ? जैनीः-जीव को परलोक का ज्ञान अथात् स्मृति के न होने से क्या जीव की चेतनता की और परलोक की नास्ति हो जायगी? , नास्तिकः और क्या ? .... . जैनी:-किस कारण से ? . . नास्तिकः-किस कारण से क्या ? यदि जीव चेतन अर्थात् ज्ञानवान् होता, और परलोक से आता जाता, तो परलोक का स्मरण (याद) क्यों कर न होता? . जैनी:-अरे नोले ! तुझे गर्जवास की अवस्था स्मरण नहीं है, तो क्या तुम गर्न से उत्पन्न नहीं हुए हो? वा, तुम चेतन नहीं

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